Highlights
- बोलियां देने की अंतिम तारीख 29 सितंबर है
- रिलायंस कैपिटल की पूरी परिसंपत्तियों के लिए छह निविदाएं मिली
- मिली निविदाएं 4,500 करोड़ रुपये के आसपास हैं
Reliance Capital लिमिटेड (आरसीएल) के बोलीदाताओं ने कंपनी की समाधान प्रक्रिया के तहत बाध्यकारी या पक्की बोलियां देने की समयसीमा का चार महीने तक के लिए विस्तार करने का अनुरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के परिसंपत्ति प्रबंधन कोष एडवेंट ने 16 सप्ताह का विस्तार मांगा है जबकि पीरामल फाइनेंस ने 12 अतिरिक्त हफ्ते मतलब दिसंबर तक का वक्त मांगा है। मौजूदा समयसीमा के मुताबिक, 75 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि (ईएमडी) के साथ पक्की बोलियां देने की अंतिम तारीख 29 सितंबर है।
रिलायंस कैपिटल को छह निविदाएं मिली
सूत्रों ने बताया कि पक्की बोलियों के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग अन्य बोलीदाताओं ने भी की है। उन्होंने बताया कि इंडसइंड बैंक ने 10 हफ्ते का विस्तार, ओकट्री ने 12 हफ्ते का और ज्यूरिख रे ने आठ हफ्तों का विस्तार मांगा है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास अंतिम समाधान योजना दाखिल करने की समयसीमा एक नवंबर, 2022 है। पिछले महीने रिलायंस कैपिटल की पूरी परिसंपत्तियों के लिए छह निविदाएं मिली हैं। आठ विभिन्न व्यवसायों वाली कंपनी के लिए मिली निविदाएं 4,500 करोड़ रुपये के आसपास हैं।
समाधान योजना की समीक्षा
कर्जदाताओं की समिति ने बुधवार को कर्ज में फंसी रिलांयस कैपिटल की समाधान योजना की समीक्षा की। कंपनी के लिये बोली प्रक्रिया 29 अगस्त को समाप्त हुई। रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिये इंडसइंड बैंक, अमेरिका की संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल और टॉरेंट ग्रुप छह कंपनियों ने बोली लगाई है। रिलायंस कैपिटल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी की कर्जदाताओं की समिति की 18वीं बैठक बृहस्पतिवार को मुंबई में हुई। बैठक में समाधान योजना की समीक्षा की गयी। इंडसइंड बैंक समेत अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ऑकट्री कैपिटल, टॉरेंट ग्रुप और बी-राइट ग्रुप ने कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) के अधिग्रहण के लिए बोलियां जमा कर दी हैं। सूत्रों के अनुसार, आठ अलग-अलग क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी के लिए ये बोलियां 4,000 करोड़ रुपये के दायरे में हैं। रिलायंस कैपिटल के लिए बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि 29 अगस्त को समाप्त हो गई थी। इस समयसीमा को पांच बार बढ़ाया गया था। आरसीएल के लिए शुरुआत में 54 कंपनियों ने रुचि दिखाई थी लेकिन दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत केवल चार ने ही बोलियां जमा की हैं। बोलीदाताओं को दो विकल्प पेश किये गए थे। पहले विकल्प में बोलीदाताओं को समूची आरसीएल के लिए बोलियां जमा करने की आवश्यकता थी। जबकि दूसरे के तहत वे कंपनी के विशेष कार्यक्षेत्रों के लिए बोली लगा सकते थे।