Friday, November 15, 2024
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पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका को देखते हुए वित्त मंत्री का बयान आया सामने, उद्योगों को दी ये सलाह

पश्चिमी देशों में मंदी ने कदम रख दिया है। इस बीच भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बेहद जरूरी बयान जारी किया है, जिसे हर उद्यमी को पढ़ना चाहिए।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: December 16, 2022 13:28 IST
मंदी की आशंका को देखते हुए वित्त मंत्री का बयान- India TV Paisa
Photo:PTI मंदी की आशंका को देखते हुए वित्त मंत्री का बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय उद्योग जगत को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने बेहद जरूरी बात बताई है। उन्होंने कंपनियों से पश्चिम में मंदी की आशंका के बीच ऐसी रणनीति बनाने की अपील की है, जिससे विकसित देशों में परिचालन कर रही कंपनियां भारत को एक उत्पादन या खरीद केंद्र के रूप में देख सकें। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए काफी सुविधाएं दी हैं और नियमों में बदलाव किया है। इसके अलावा हम उन उद्योगों से भी जुड़ रहे हैं जो भारत आना चाहते हैं। 

रणनीति बनाने का सबसे अच्छा समय

सीतारमण ने कहा, ‘‘आप खुद को पश्चिमी देशों और विकसित दुनिया में मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह आपके लिए वहां काम कर रहे विनिर्माताओं को भारत लाने की रणनीति बनाने को सबसे अच्छा समय है। भले ही उनका मुख्यालय वहां है, लेकिन उनके लिए यह उपयोगी हो सकता है कि वे यहां से कई चीजें खरीदें। कम से कम दुनिया के इस हिस्से के बाजारों के लिए यहां से उत्पादन करें।’’ उन्होंने कहा कि संभावित मंदी का असर यूरोप पर भी पड़ेगा। इसका सिर्फ भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर नहीं होगा। यह वहां के कई तरह के निवेश को अपने यहां लाने का अवसर देता है। अब वे ऐसे अलग स्थानों की तलाश कर रहे हैं जहां से वे अपनी गतिविधियों को चालू रख सकें।

सीतारमण ने उद्योग से स्टार्टअप्स के इनोवेशन को देखने और उन्हें बढ़ाने के तरीकों पर विचार करने को कहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत विनिर्माण और सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान देता रहेगा। दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव की ओर है, ऐसे में घरेलू उद्योग को विकसित देशों द्वारा ऊंचे शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। 

अगले 25 साल के लिए भारत तैयार

उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वह सरकार को बताए कि जलवायु परिवर्तन उन्हें कैसे प्रभावित कर रहा है। साथ ही वे उनकी लागत पर पड़ रहे बोझ को कम करने के उपाय भी सुझाएं। वित्त मंत्री ने कहा कि उद्योग को जलवायु परिवर्तन के नाम पर कुछ देशों द्वारा खड़ी की जाने वाले शुल्क की दीवारों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। आगामी बजट पर उन्होंने कहा कि यह अगले 25 साल के लिए भारत को तैयार करने के पिछले कुछ बजट की भावनाओं के अनुरूप होगा। 

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