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आपकी जेब पर फिर हो सकती है 'सर्जिकल स्ट्राइक', जानिए रिजर्व बैंक कितनी बढ़ा सकता है ब्याज दरें

ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित कर 6.2 से 6.5 प्रतिशत कर सकता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: May 26, 2022 22:14 IST
Inflation- India TV Paisa
Photo:FILE

Inflation

Highlights

  • RBI मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है
  • केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित कर 6.2 से 6.5 प्रतिशत कर सकता है
  • आरबीआई 2022-23 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर सकता है

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इस ​हालत में आपकी ​जेब पर रिजर्व बैंक की एक और सर्जिकल स्ट्राइक तय मानी जा रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) संतोषजनक दायरे से बाहर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति को देखते हुए जून महीने में मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। 

सीमा से अधिक महंगाई 

ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित कर 6.2 से 6.5 प्रतिशत कर सकता है। यह रिजर्व बैंक के लिये निर्धारित मुद्रास्फीति की ऊपरी सीमा से अधिक है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। 

घट सकता है ग्रोथ का अनुमान

आर्थिक वृद्धि के बारे में अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई 2022-23 के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर सकता है जबकि पूर्व में इसके 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। बार्कलेज के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि आरबीआई जून में नीतिगत दर में एक और बड़ी वृद्धि कर सकता है। इसका कारण मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य से अधिक होने से आर्थिक स्थिरता के समक्ष जोखिम है। रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है।’’ 

मई में बढ़ चुकी है रेपो रेट 

केंद्रीय बैंक ने चार मई को अचानक से नीतिगत दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही कह चुके हैं कि जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और वृद्धि में ज्यादा सोचने वाली कोई बात नहीं है। बाजोरिया ने कहा कि आरबीआई के लिये मुख्य चुनौती मुद्रास्फीति के ऊपर जाने के साथ वृद्धि में कमी को लेकर जोखिम के बीच संतुलन बनाने की है।

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