Highlights
- 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार
- केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी
- अप्रैल में तो मुद्रास्फीति 7.8 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी
महंगाई का लगातार उच्च स्तर पर बने रहना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए नीतिगत चिंता का एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है लेकिन सामान्य बरसात और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान दूर होने से अगले वित्त वर्ष में दबाव कम होने की संभावना है। आरबीआई की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। आरबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाएगी और इसका स्तर 5.2 फीसदी तक रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में इसके 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
मानूसन बेहतर होने से बढ़ी उम्मीद
आरबीआई ने ‘मौद्रिक नीति रिपोर्ट सितंबर 2022’ में कहा, ‘‘सामान्य मानसून, आपूर्ति श्रृंखलाओं में बने व्यवधानों के लगातार दूर होने और कोई अन्य बाहरी या नीतिगत झटका नहीं लगने की स्थिति में वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति के औसतन 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है।’’ जनवरी 2022 से मुद्रास्फीति का स्तर आरबीआई की संतोषजनक ऊपरी सीमा (छह प्रतिशत) से भी अधिक बना हुआ है। अप्रैल में तो मुद्रास्फीति 7.8 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी हालांकि बाद में इसमें कमी आनी शुरू हुई, फिर भी यह अस्वीकार्य उच्च स्तर पर बनी हुई है। महंगाई को काबू में करने के लिए शुक्रवार को आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
2022-23 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 6.7% पर बरकरार
आरबीआई ने रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए चुनौतीपूर्ण वैश्विक भू-राजनीतिक हालात के बीच चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 6.5 प्रतिशत और मार्च तिमाही के लिए 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी दी गई है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है।