RBI Repo Rate: रेपो रेट पर भारतीय रिजर्व बैंक के रुख को लेकर अलग-अलग अर्थशास्त्री अलग-अलग बातें कर रहे हैं। इसी सिलसिले में एक दिग्गज अर्थशास्त्री ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अगले साल फरवरी में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में रेपो रेट को स्थिर रखेगा, क्योंकि महंगाई दर तय लक्ष्य से काफी ऊपर है। प्राइवेट सेक्टर के एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पार्ट-टाइम मेंबर नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि आरबीआई के नेतृत्व में बदलाव से रेपो रेट के रुख पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और संस्थागत क्षमता बहुत मजबूत है।
अगले 13-14 महीनों तक ब्याज दरों में कटौती करना काफी मुश्किल
नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि मौजूदा महंगाई को देखते हुए आरबीआई के लिए अगले 13-14 महीनों तक ब्याज दरों में कटौती करना काफी मुश्किल होगा। उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 में औसत महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई। मिश्रा ने कहा कि अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही को छोड़कर प्रमुख महंगाई दर 4.5 से 5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। ऐसे हालातों में रेपो रेट में कटौती के लिए आरबीआई के पास बहुत कम चांस होगा।
0.50 प्रतिशत की कटौती से नहीं पड़ेगा कोई खास असर
एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि अगर आरबीआई देश की जीडीपी ग्रोथ को गति देने के लिए रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की भी कटौती करता है तो ये देश की ग्रोथ को गति देने के लिए‘निर्णायक’ कदम नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप ब्याज दरों में कटौती का कदम बढ़ाते हैं तो ये निर्णायक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 0.50 प्रतिशत की कटौती न तो इधर है और न ही उधर है।’
संजय मल्होत्रा ने संभाला आरबीआई का गवर्नर पद
बताते चलें कि बुधवार को ही संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में अपना कार्यभार संभाला है। मल्होत्रा अगले 3 साल तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में सेवाएं देंगे। हालांकि, संजय मल्होत्रा के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, क्योंकि देश अभी महंगाई के साथ-साथ सुस्त अर्थव्यवस्था का सामना कर रहा है। इससे पहले, मंगलवार को शक्तिकांत दास ने आरबीआई के गवर्नर के रूप में पद छोड़ दिया। आरबीआई के गवर्नर के रूप में उन्होंने लगातार 2 कार्यकाल सेवाएं दीं।