RBI Policy: भातरीय रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार शुक्रवार को रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की। इस बढ़ोतरी से होम-कार लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे होंगे। यानी आपको अधिक EMI चुकानी होगी। साथ ही एक फयदा भी मिलेगा कि बैंक आपको जमा (FD) पर ज्यादा ब्याज देंगे। आइए, एक नजर डालते हैं आरबीआई गवर्नर द्वारा बोले गए 15 अहम बातों पर।
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिये नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी किया है। तीन बार में रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
- भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची महंगाई से जूझ रही। रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ माह के दौरान भारतीय बाजार से 13.3 अरब डॉलर की पूंजी निकाली।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाते हुए मंदी का जोखिम जताया।
- वित्तीय क्षेत्र में पर्याप्त पूंजी। वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से बचाव कर रहा है विदेशी मुद्रा भंडार।
- मौद्रिक नीति समिति ने स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत की।
- मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया।
- महंगाई लक्ष्य से ज्यादा। खुदरा महंगाई के छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने का अनुमान।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा।
- बैंकों की ऋण की वृद्धि बढ़कर 14 प्रतिशत हुई। एक साल पहले यह 5.5 प्रतिशत थी।
- आर्थिक गतिविधियां व्यापक हो रही है। ग्रामीण मांग में मिला-जुला रुख।
- वित्त वर्ष 2022.23 के लिये के महंगाई का अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
- अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक जोखिमों जैसे वैश्विक घटनाक्रमों से प्रभावित हो रही।
- खाद्य तेल कीमतों में आगे और कमी आएगी।
- करेंट अकाउंट को लेकर चिंता की बात नहीं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर।
- डाॅलर के मुकाबले रुपये में गिरावट लेकिन यह दुनिया की दूसरी करेंसी से बेहतर।