Highlights
- RBI ने महंगाई के अपने अनुमान को 2022-23 के लिए 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है
- वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6 फीसदी से नीचे की महंगाई दर का अनुमान
- रिजर्व बैंक ने आज रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है
RBI Policy : महंगाई ने वास्तव में आम आदमी की बैंड बजा रखी है। आटा दाल से लेकर कपड़े और जूते तक, सब कुछ महंगा हो चुका है। जबकि आपकी सैलरी अंगद के पैर की तरह एक जगह जमी हुई हुई है। ऐसे में यदि आप भी महंगाई को लेकर आप भी हर दिन अपनी किस्मत, वैश्विक माहौल या फिर सरकार को कोस रहे हैं, तो आज आपको रिजर्व बैंक के गवर्नर के बयान को जरूर पढ़ना और सुनना चाहिए। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि यदि मानसून अंत तक बेहतर रहता है तो आने वाले त्योहारी सीजन तक वस्तुओं की कीमत में कमी देखने को मिल सकती है।
इस तिमाही में तो रुलाएगी महंगाई
शुक्रवार को घोषित हुई मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने भू राजनीतिक घटनाक्रमों तथा वस्तुओं ऊंची कीमतों के बीच चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 2022-23 के लिए 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि खरीफ की बुवाई बढ़ने और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार से आगे चलकर मुद्रास्फीतिक दबाव कम होगा। रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6 फीसदी से नीचे की महंगाई दर का अनुमान लगाया है।
रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अभी अधिक है महंगाई
जून में पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था। इस बार इसमें कोई बदलाव नहीं किया है। यह दर रिजर्व बैंक की संतोषजनक स्तर से अधिक है। रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है।
मानसून और कच्चे तेल से उम्मीद
दास ने कहा कि 2022 में मानसून सामान्य रहने और भारत का कच्चे तेल का आयात औसतन 105 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान के आधार पर 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा गया है।
रिजर्व बैंक का महंगाई का अनुमान
तिमाही (2022-23) | मुद्रास्फीति |
दूसरी | 7.1% |
तीसरी | 6.4% |
चौथी | 5.8% |
2023 में घटेगी महंगाई
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2023-24 की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5 प्रतिशत पर आ जाएगी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा मानूसन के मौसम में खरीफ की बुवाई ने रफ्तार पकड़ी है। यह घरेलू मूल्य परिदृश्य के लिहाज अच्छा है। इससे ग्रामीण उपभोग को भी प्रोत्साहन मिलेगा।