भारतीय रुपया जल्द ही डॉलर और पाउंड की तरह एक अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिये कई अल्पकालीन और दीर्घकालीन सुझाव दिये। इन सुझावों में भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) समूह में शामिल करने और सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिये आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) का अंतर्राष्ट्रीय इस्तेमाल करना शामिल है।
इंटरनेशनल ट्रेड में भूमिका निभा सकता है रुपया
इसके अलावा रुपये में व्यापार निपटान के लिये निर्यातकों को युक्तिसंगत प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की गई है। सडीआर मुद्राकोष के सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के तौर पर बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है। एसडीआर समूह से किसी देश को जरूरत के समय नकदी दी जाती है। एसडीआर में अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड शामिल हैं।
आरबीआई की कमेटी ने दिए प्रमुख सुझाव
रिजर्व बैंक के इस अंतर-विभागीय समूह का गठन दिसंबर 2021 में किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में रुपये की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करना और भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को लेकर एक रूपरेखा बनाना था। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक आर एस राठो की अध्यक्षता वाले अंतर विभागीय समूह (आईडीजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक प्रक्रिया है, जिसमें अतीत में उठाये गये सभी कदमों को आगे बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयास किये जाने की जरूरत है। समिति ने अल्पकालिक उपायों के तौर पर भारतीय रुपये और स्थानीय मुद्राओं में बिल बनाने, निपटान और भुगतान को लेकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था पर प्रस्तावों की जांच करने का सुझाव दिया है।
रुपये में कारोबार कर सकेगा भारत
कमेटी ने सुझाव दिया है कि भारत तथा भारत के बाहर दोनों जगह प्रवासियों (विदेशी बैंकों के नोस्ट्रो खातों के अलावा) के लिये रुपया खाते खोलने को प्रोत्साहित करने को एक रूपरेखा तथा एक मानकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। नोस्ट्रो खाता से आशय उस खाते से है जो एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा के रूप में रखता है। समिति ने सीमापार लेनदेन के लिये अन्य देशों के साथ भारतीय भुगतान प्रणालियों को एकीकृत करने और वैश्विक स्तर पर पांचों कारोबारी दिन 24 घंटे काम करने वाले भारतीय रुपया बाजार को बढ़ावा देकर वित्तीय बाजारों को मजबूत करने का सुझाव दिया है। साथ ही भारत को रुपये में लेनदेन और मूल्य खोज के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की भी सिफारिश की है।