भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति कमिटी यानी एमपीसी बीते दिनों से चल रही मीटिंग के फैसलों की घोषणा शुक्रवार को करेगी। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी मौद्रिक नीति की घोषणा में नीतिगत ब्याज दर पर सबकी निगाह है। क्योंकि लंबे समय से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लोकसभा नतीजों के बाद यह एमपीसी की पहली मीटिंग (5-7 जून) हुई है। भारत के मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक संकेतकों के बीच मीटिंग के फैसलों की घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे।
एमपीसी के फैसले एक रूपरेखा प्रदान करेंगे
खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक का दर-निर्धारण पैनल सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि और खाद्य कीमतों जैसे आर्थिक निर्धारकों पर वैश्विक प्रतिकूलताओं और जलवायु झटकों के प्रभाव का निरीक्षण करेगा। दास के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा की जाने वाली समीक्षा आने वाली गठबंधन सरकार और केंद्रीय बैंक के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगी।
केंद्रीय अधिकारी चालू वित्त वर्ष के शेष भाग के लिए नीतिगत रुख को आधार के रूप में अपनाएंगे क्योंकि वे विकास को बनाए रखने और मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे रखने के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे।
रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर बनाए रखने की संभावना ज्यादा
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आरबीआई नीतिगत दरों को स्थिर रखेगा। डी-स्ट्रीट के अधिकांश विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, आरबीआई 5-7 जून की MPC बैठक के समापन पर अपनी प्रमुख रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखेगा, जो कि ‘सहूलियत वापस लेने’ के अपने रुख को जारी रखेगा। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड-उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद, हीटवेव और बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण हाल ही में मौसम संबंधी झटकों के कारण MPC का व्यापक ध्यान मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने पर रहेगा। बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक, अतुल मोंगा का मानना है कि संभावना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति रेपो रेट में कोई बदलाव न करें और इसे 6.50 प्रतिशत पर ही रखेगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि भोजन की कीमतों बढ़ोतरी के चलते मुद्रास्फीती का खतरा बना हुआ है।