Friday, March 14, 2025
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RBI द्वारा ब्याज दर घटाने से आने वाले समय में और सस्ते लोन का पिच हो गया है तैयार, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

भारतीय उद्योग जगत ने आरबीआई द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कदम इस मोड़ पर अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी सपोर्ट करेगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Feb 07, 2025 16:01 IST, Updated : Feb 07, 2025 16:01 IST
समीक्षा के बाद पत्रकारों से बातचीत करते भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा।
Photo:RBI समीक्षा के बाद पत्रकारों से बातचीत करते भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा।

भारतीय उद्योग जगत का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती ने आने वाले समय में और भी ब्याज दर में कमी के लिए पिच तैयार कर दिया है। उद्योग निकायों का मानना ​​है कि मई 2020 में पिछली दर में कटौती के बाद आरबीआई द्वारा 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती करके 6.25 प्रतिशत करने से निकट भविष्य में ब्याज दरों में और ढील देने की संभावना है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, दरों में आखिरी संशोधन फरवरी 2023 में हुआ था। तब रेपो रेट को 25 आधार अंकों बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था।

घरेलू मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद

खबर के मुताबिक, सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आरबीआई द्वारा यह संतुलित दृष्टिकोण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन को दर्शाता है। नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कटौती से केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित खपत बढ़ाने वाले उपायों के पूरक के रूप में घरेलू मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कह कि हमारा मानना ​​है कि महंगाई के ट्रेंड में कमी और गैर-मुद्रास्फीतिकारी राजकोषीय नीति ने आरबीआई को अपने दर कटौती चक्र को जारी रखने और वित्तीय स्थिति अनुकूल होने पर बड़ी दर कटौती लागू करने का अवसर प्रदान किया है।

अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी सपोर्ट मिलेगा

फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने आरबीआई द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कदम इस मोड़ पर अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी सपोर्ट करेगा। उन्होंने आरबीआई द्वारा नीति दर में ढील देने के फैसले को समय पर और दूरदर्शी कदम बताया और उम्मीद जताई कि बैंकिंग क्षेत्र इस संकेत का पालन करेगा और ऋण दरों में कमी देखी जाएगी। अग्रवाल ने कहा कि इसके अलावा, जबकि आरबीआई ने मौद्रिक नीति के संबंध में तटस्थ रुख बनाए रखा है, मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की अधिक लचीली व्याख्या की ओर संकेत निकट भविष्य में दरों में और कटौती के लिए मंच तैयार करता है।

निवेश-आधारित विकास के लिए एक मजबूत नींव

बजट ने विनिर्माण, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और बुनियादी ढांचे पर जोर देते हुए निवेश-आधारित विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी है। फिक्की के अध्यक्ष ने कहा कि दरों में कटौती इन उपायों का पूरक है, जो भारत के विकास के दृष्टिकोण को और अधिक समर्थन प्रदान करता है। पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि रेपो दर में कमी से निवेश में वृद्धि, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि, उत्पादन में वृद्धि और समग्र आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

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