Reserve Bank: बीते तीन बार से ब्याज दरें में 1.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर चुका है। इस समय मौद्रिक नीति समीक्षा कमेटी यानि एमपीसी की बैठक जारी है, आरबीआई गवर्नर कल ब्याज दरों की घोषणा करेंगे। लेकिन इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक बुरी खबर आ गई है।
औद्योगिक ऋण की हिस्सेदारी घटी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि कुल कर्ज में औद्योगिक ऋण की हिस्सेदारी पिछले एक दशक में धीरे-धीरे घटी है जबकि व्यक्तिगत कर्ज का हिस्सा बढ़ा है। कारोबारी ऋण को आम तौर पर अर्थव्यवस्था की गति का मानक माना जाता है। लेकिन जिस तरह से अर्थव्वस्था में सुस्ती दिख रही है, वहीं महंगाई को रोकने के लिए रिजर्व बैंक बार बार ब्याज दरें बढ़ा रहा है, उसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता नजर आ रहा है।
छोटे आकार के कर्ज में बढ़ोत्तरी
आरबीआई की तरफ से ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कर्ज पर मूल सांख्यिकीय रिटर्न - मार्च 2022’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 में औद्योगिक और व्यक्तिगत ऋणों की हिस्सेदारी करीब 27-27 प्रतिशत थी। औद्योगिक क्षेत्र के ऋण में 2021-22 में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले इसमें गिरावट दर्ज की गयी थी। आरबीआई ने कहा कि हाल के वर्षों में खुदरा क्षेत्र से ऋण की मांग बढ़ी है। छोटे आकार के कर्ज का हिस्सा भी लगातार बढ़ रहा है।
10 करोड़ से ज्यादा के कर्ज में आई कमी
एक करोड़ रुपये तक के कर्ज की हिस्सेदारी मार्च 2022 में बढ़कर करीब 48 फीसदी हो गई, जो पांच साल पहले करीब 39 फीसद थी। वहीं, 10 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज का हिस्सा घटकर 40 प्रतिशत पर आ गया जो पांच साल पहले 49 प्रतिशत था। इसमें कहा गया है कि कुल बैंक ऋण में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी घट रही है।
सरकारी बैंक की बजाए निजी बैंक का बढ़ा दबदबा
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल कर्ज में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी मार्च 2022 में 54.8 प्रतिशत रही। यह पांच साल पहले 65.8 प्रतिशत और 10 साल पहले 74.2 प्रतिशत थी। दूसरी तरफ निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी पिछले दस साल में करीब दोगुनी होकर 36.9 प्रतिशत हो गई।