भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार से शुरू हो गई है। तीन दिन तक चलते वाले द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के निर्णय की घोषणा शुक्रवार को होगी। इस बीच विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि मुद्रास्फीति और अन्य वैश्विक कारकों के बीच केंद्रीय बैंक नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर ही कायम रख सकता है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली एमपीसी बैठक के निर्णय की घोषणा शुक्रवार सुबह होगी। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, “मुझे लगता है कि अगस्त में पिछली एमपीसी बैठक और इस समय के बीच मुद्रास्फीति बढ़ गई है, वृद्धि मजबूत बनी हुई है, जबकि वैश्विक कारक इस अर्थ में थोड़े प्रतिकूल हो गए हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अब भी अपने रुख में आक्रामक है। ऐसे में आरबीआई द्वारा नीतिगत दर को यथावत रखने की उम्मीद है। ”
लंबे समय तक ऊंचे बने रहने की संभावना
उन्होंने कहा कि आरबीआई वृद्धि की मजबूती देखते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान बढ़ाएगा। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर सावधानी से नजर बनाए रखने की जरूरत है। बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, “वृद्धि को लेकर अनिश्चितताओं के कारण वैश्विक व्यापक आर्थिक परिदृश्य जटिल बना हुआ है। यह एमपीसी को सतर्क रहने के लिए प्रेरित करेगा, और दरों के लंबे समय तक ऊंचे बने रहने की संभावना है।” क्रेडिटवाइज कैपिटल के संस्थापक और निदेशक आलेश अवलानी ने कहा, “अगस्त के बाद से कृषि वस्तुओं की कीमतों में नरमी ने एमपीसी को कुछ राहत दी है, जिससे फिलहाल रेपो दर में और बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।’’ टीटागढ़ रेल सिस्टम्स के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक उमेश चौधरी ने कहा, “सरकार की नीतियों और पूंजीगत व्यय ने निश्चित रूप से बुनियादी ढांचा क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। विनिर्माण क्षेत्र के लिए बहुत सारे अवसर हैं, जिसका अर्थ है कि निजी क्षेत्र को पूंजीगत व्यय करना होगा। इसके लिए, ब्याज दर व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।”
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वृद्धि शुरू हुई थी
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में नीतिगत दर बढ़ाना शुरू किया था और इस साल फरवरी में यह 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इसके बाद से लगातार पिछली तीन द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में नीतिगत दर को स्थिर रखा गया। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘इस बार की मौद्रिक नीति में मौजूदा दर संरचना के साथ ही नीतिगत रुख के जारी रहने की संभावना है। इसलिए रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखी जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति अब भी 6.8 प्रतिशत के उच्चस्तर पर है और सितंबर तथा अक्टूबर में इसमें कमी आने की उम्मीद है, लेकिन खरीफ उत्पादन को लेकर कुछ आशंकाएं हैं, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।