यूक्रेन युद्ध(Ukraine War) के चलते जब से कच्चा तेल महंगा हुआ है, तब से रिजर्व बैंक लगातार महंगाई की आग को थामने की कोशिश कर रहा है। अपनी इस कोशिश में रिजर्व बैंक (RBI) बीते साल मई से लगातार ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है। बीते एक साल में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है, ऐसे में होम और कार लोन की दरें दहाई अंकों में पहुंच चुकी हैं। हर कोई ये पूछ रहा है कि ये दरें कब कम होंगी। तो लीजिए इसका जवाब आ गया है। ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स (Oxford Economics) की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस वर्ष की चौथी तिमाही में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है।
2023 की चौथी तिमाही में कटौती की संभावना
पूर्वानुमान लगाने वाली वैश्विक कंपनी ने कहा है कि कई ऐसे कारक हैं जिनके चलते केंद्रीय बैंक अपने रुख को अधिक उदार कर सकता है। ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि मुद्रास्फीति पहले ही नरम हो रही है और उपभोक्ताओं महंगाई को लेकर अनुमान नीचे आ रहा है। पूर्वानुमान जताने वाली फर्म ने कहा कि हम भारत के लिए अपनी राय का अद्यतन कर रहे हैं और 2023 की चौथी तिमाही में रिजर्व बैंक की ओर से पहली ब्याज दर कटौती हो सकती है।
दिवाली बाद सुधर सकते हैं हालात
ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि मिश्रित कारकों की वजह से रिजर्व बैंक अपने रुख में बदलाव ला सकता है और नीतिगत मोर्चे पर उदार हो सकता है। उसने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सबसे पहले यह देखेगी कि मुद्रास्फीति उसके लक्ष्य के मध्य में स्थिर हो रही है। उसके बाद वह अपने रुख में बदलाव लाएगी। हमारा मानना है कि यह साल के अंत से पहले होगा।
आर्थिक संकेतों में दिखी मजबूती
ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स ने कहा कि PMI (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) आंकड़े, GSt संग्रह जैसे आर्थिक संकेतक यह दर्शाते हैं कि भारत में गतिविधियां अभी मजबूत हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने सभी को हैरान करते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था।