भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पेमेंट सिस्टम को दुरुस्त बनाने के मकसद से मंगलवार को नए गाइडलाइन जारी किए हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि गैर-बैंक भुगतान व्यवस्था से जुड़े परिचालकों को संदिग्ध लेनदेन गतिविधियों की पहचान और इस बारे में सतर्क करने के लिए वास्तविक समय पर धोखाधड़ी निगरानी उपाय करने होंगे। भाषा की खबर के मुताबिक, गैर-बैंक पीएसओ के लिए साइबर मजबूती और डिजिटल भुगतान सुरक्षा नियंत्रण पर जारी ‘मास्टर’ यानी मूल गाइडलाइन को फॉलो करना होगा।
मोबाइल एप्लिकेशन को लेकर बना ये नियम
खबर के मुताबिक, साथ ही गैर-बैंक भुगतान व्यवस्था से संबद्ध परिचालकों (पीएसओ) को यह सुनिश्चित करना होगा कि मोबाइल एप्लिकेशन का अगर उपयोग नहीं हो रहा हो तो एक निश्चित अवधि के बाद वह खुद-ब-खुद बंद हो जाए और ग्राहकों को फिर से लॉगिन करने की जरूरत पड़े। निर्देश मंगलवार से प्रभावी हो गया है। आरबीआई ने पीएसओ को जरूरी अनुपालन संरचना तैयार करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के मकसद से चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन भी निर्धारित किया है।
प्रभावित लेनदेन वापस कर दिया जाएगा
आरबीआई ने कहा कि निर्देशों का मकसद साइबर मजबूती पर जोर के साथ पूरी सूचना सुरक्षा तैयारियों के लिए एक रूपरेखा प्रदान कर पीएसओ की भुगतान व्यवस्था सुरक्षा में सुधार करना है। आरबीआई ने मोबाइल भुगतान के संबंध में कहा कि पीएसओ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहक के साथ बातचीत के दौरान एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल के साथ प्रमाणित सत्र बरकरार रहे। रिजर्व बैंक ने कहा कि किसी भी हस्तक्षेप की स्थिति में अगर ग्राहक एप्लिकेशन बंद कर देता है, तो सेशन खत्म कर दिया जाएगा और प्रभावित लेनदेन का समाधान किया जाएगा या उसे वापस कर दिया जाएगा।
...तब ग्राहकों को फिर से लॉगिन करना होगा
इसके अलावा, पीएसओ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्क्रियता की एक निश्चित अवधि के बाद मोबाइल एप्लिकेशन पर ऑनलाइन सत्र खुद-ब-खुद बंद हो जाए और ग्राहकों को फिर से लॉगिन करने करने की जरूरत पड़े। आरबीआई ने कहा कि कार्ड नेटवर्क को कार्ड, बैंक पहचान संख्या (बीआईएन) के साथ-साथ कार्ड जारीकर्ता स्तर पर लेनदेन सीमा को क्रियान्वित करने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।