भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेगा। बुधवार को शुरू हुई तीन-दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान नीतिगत ब्याज दर पर फैसला लिया गया है। यह बैठक महंगाई में बढ़ोतरी और कमजोर जीडीपी आंकड़ों के बीच हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक अल्पकालिक उधारी दर यानी रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने का फैसला कर सकता है। हालांकि, मिले-जुले आर्थिक रुझानों को देखते हुए एमपीसी नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में बदलाव करने का फैसला कर सकती है।
दास के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक
एमपीसी मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई है, जिसके प्रमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास हैं। इस समिति में गवर्नर समेत कुल छह सदस्य हैं। आरबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि शक्तिकांत दास शुक्रवार सुबह 10 बजे एमपीसी की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। यह दास के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक है। उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से ही रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है कि खुदरा महंगाई दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर बनी रहे।
रेट कट की उम्मीद कम
भारत में लोगों को लंबे समय से पर्सनल लोन, होम लोन और ऑटो लोन सहित सभी तरह के कर्ज पर ब्याज दरें घटने का इंतजार है। अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन पर ब्याज दरें कम होने का रास्ता खुल जाएगा। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज देता है। जब बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, तो वे ग्राहकों को भी सस्ता कर्ज ऑफर करते हैं। हालांकि, इस बार रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम ही लग रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें 2025 में ही कुछ ढील मिल सकती है। एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, ''हमें चालू वित्त वर्ष में रेट कट की उम्मीद नहीं है। पहला रेट कट तथा तथा रुख में और बदलाव अप्रैल 2025 में होने की उम्मीद है।''
पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ