भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि मौद्रिक नीति के रुख में बदलाव करना ‘‘बहुत जल्दबाजी’’ होगा और शीर्ष बैंक को दरों के मोर्चे पर ‘‘दुस्साहस’’ के दृष्टिकोण से बचना होगा। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि रिजर्व बैंक सेबी के साथ मिलकर फ्यूचर एंड ऑप्शन में उच्च कारोबार आकार की निगरानी कर रहा है, लेकिन इसपर कोई भी कार्रवाई बाजार नियामक द्वारा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी संभावना है कि मार्च तिमाही के लिए चालू खाते घाटा (कैड), जिसकी घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों के लिए 1.2 प्रतिशत के आंकड़े से नीचे आ जाएगा।
व्यापार घाटा होगा कम
वित्त वर्ष के पहले नौ माह में कैड सकल घरेलू उत्पाद के 1.2 प्रतिशत पर रहेगा, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 2.6 प्रतिशत के स्तर पर था। ऐसा वस्तुओं का व्यापार घाटा कम होने की वजह से होगा। वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में देश के शामिल होने के बाद बढ़ते प्रवाह की चर्चाओं के बीच गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक भविष्य में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक माध्यम के रूप में कार्य करने के लिए भंडार बनाना जारी रखेगा। अपने भंडार विविधीकरण रणनीति के हिस्से के रूप में, यह सोना बढ़ाना जारी रखेगा।
7.2% की दर से बढ़ेगी इकोनॉमी
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था के 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति के बारे में, उन्होंने कहा कि भले ही मुख्य मुद्रास्फीति में कमी आई है, लेकिन खाद्य महंगाई दर अब भी ऊंची बनी हुई है और इसके आसपास भी अनिश्चितताएं हैं। दास ने कहा कि नीति के रुख को बदलना अभी जल्दबाजी होगा और किसी भी तरह के जोखिम भरे कदम से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इस मोर्चे पर लगातार सतर्क है। दास ने कहा कि मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन काफी धीमी गति से। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को भरोसा है कि मुद्रास्फीति की गिरावट की यात्रा धीमी गति से ही सही, जारी रहेगी।