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RBI ने पाकिस्तान को दी 'पटखनी', खाने-पीने के सामन होंगे महंगे! पढ़ें एनुअल रिपोर्ट की अहम बातें

भारतीय रिजर्व बैंक के बही-खाते का आकार मार्च, 2024 तक 11.08 प्रतिशत बढ़कर 70.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह पाकिस्तान के कुल सकल घरेलू उत्पाद (करीब 340 अरब अमेरिकी डॉलर) का करीब 2.5 गुना है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 30, 2024 19:12 IST
Indian Economy - India TV Paisa
Photo:FILE भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की सबसे तेज रफ्तार होगी। केंद्रीय बैंक ने 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में ओवरऑल महंगाई में कमी आने की उम्मीद जताई है। हालांकि, फूड इन्फ्लेशन के बढ़ने का संकेत ​दिए हैं। यानी खाने-पीने के सामन और महंगे हो सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के बही-खाते का आकार मार्च, 2024 तक 11.08 प्रतिशत बढ़कर 70.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह पाकिस्तान के कुल सकल घरेलू उत्पाद (करीब 340 अरब अमेरिकी डॉलर) का करीब 2.5 गुना है। इससे आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि आरबीआई के सामने पाकिस्तान कहां खड़ा है। भारत की बात तो बहुत आगे है। 

अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे ये फैक्टर

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था, व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय स्थिरता के परिदृश्य में अगले दशक में वृद्धि की गति को तेज करने की अच्छी स्थिति में है। इसमें कहा गया, ‘‘ कुल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति के निर्धारित स्तर की ओर बढ़ने से खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग मांग में तेजी आएगी। बाह्य क्षेत्र की मजबूती और विदेशी मुद्रा भंडार घरेलू आर्थिक गतिविधियों को वैश्विक प्रभावों से बचाएंगे।’’ हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भू-राजनीतिक तनाव, भू-आर्थिक विखंडन, वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव और अनिश्चित मौसमी घटनाक्रम वृद्धि के कम होने तथा मुद्रास्फीति के बढ़ने का जोखिम उत्पन्न करते हैं। 

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बड़ी हो रही 

रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2023-24 (अप्रैल 2023 से मार्च 2024 वित्त वर्ष) में मजबूत गति से विस्तार किया, जिससे वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई है। यह 2022-23 में सात प्रतिशत थी। यह लगातार तीसरे वर्ष सात प्रतिशत या उससे अधिक रही। वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था ने लगातार चुनौतियों के बावजूद जुझारुपन दिखाया। जीडीपी वृद्धि को बैंकों तथा कॉरपोरेट जगत की स्वस्थ बैलेंस शीट, पूंजीगत व्यय पर सरकार के ध्यान देने और विवेकपूर्ण मौद्रिक, नियामकीय तथा राजकोषीय नीतियों से समर्थन मिला है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिकूल वैश्विक समष्टि आर्थिक तथा वित्तीय परिवेश से जूझ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 के खरीफ और रबी दोनों मौसम में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ने सभी फसलों के लिए उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ सुनिश्चित किया। 

7 प्रतिशत रहेगी जीडीपी ग्रोथ

आरबीआई ने कहा, ‘‘ 2024-25 के लिए वास्तविक (सकल घरेलू उत्पाद) जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें जोखिम दोनों तरफ बराबर है।’’ आरबीआई ने कहा कि 2022-23 में उसके बही-खाते तक का आकार 63.45 लाख करोड़ रुपये था। यह वित्त वर्ष 2023-24 में 7,02,946.97 करोड़ रुपये बढ़ा है। बही-खाते मार्च 2024 के अंत तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 24.1 प्रतिशत हो गए जो एक साल पहले 23.5 प्रतिशत थे। वित्त वर्ष 2024 में केंद्रीय बैंक की आय में 17.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि व्यय में 56.3 प्रतिशत की कमी आई। विदेशी प्रतिभूतियों से ब्याज आय में उछाल के साथ ही आरबीआई का अधिशेष 141.23 प्रतिशत बढ़कर 2.11 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिसे उसने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार को हस्तांतरित कर दिया। 

विदेशी मुद्रा लेनदेन से आय बढ़ी

इसके अलावा आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 में आकस्मिकता निधि (सीएफ) के लिए 42,820 करोड़ रुपये प्रदान किए। आरबीआई को विदेशी मुद्रा लेनदेन से 83,616 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। विदेशी प्रतिभूतियों से ब्याज आय बढ़कर 65,328 करोड़ रुपये हो गई, जिससे उसे अपनी आकस्मिकता निधि का आकार बढ़ाने में मदद मिली। वार्षिक रिपोर्ट आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की एक वैधानिक रिपोर्ट है। रिपोर्ट में अप्रैल 2023 से मार्च 2024 की अवधि के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के कामकाज और कार्यों को शामिल किया गया है। 

अनक्लेम्ड मनी 26 प्रतिशत बढ़ा 

वित्तीय क्षेत्र पर आरबीआई ने कहा कि बैंकों के पास दावा न किए गए जमा में मार्च 2024 के अंत में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 78,213 करोड़ रुपये हो गई। जमाकर्ता शिक्षा व जागरूकता कोष में राशि 62,225 करोड़ रुपये थी। सहकारी बैंकों सहित सभी बैंक, खाताधारकों की 10 या अधिक वर्षों से उनके खातों में पड़ी हुई दावा न की गई जमाराशियों को भारतीय रिजर्व बैंक के जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता (डीईए) कोष में स्थानांतरित करते हैं। 

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