भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को निजी बैंकों और विदेशी बैंकों की पूर्ण-स्वामित्व वाली सब्सिडियरी से अपने निदेशक मंडल में प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समेत कम-से-कम दो पूर्णकालिक निदेशकों की मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है। आरबीआई ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र की बढ़ती जटिलता को देखते हुए वर्तमान एवं उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए बैंकों के लिए एक प्रभावी वरिष्ठ प्रबंधन टीम का गठन अनिवार्य हो जाता है, जिससे कि आने वाली किसी भी चुनौती से सफलतापूर्वक निपटा जा सके। साथ ही केंद्रीय बैंक ने इसे उत्तराधिकारी ढूढंने के लिए जरूरी बताया। इसके लिए एक सर्कुलर भी निकाला गया है।
इस सर्कुलर में कहा गया कि ऐसी टीम की स्थापना से बैंक की उत्तराधिकार योजना में मदद मिल सकती है। यह एमडी एवं सीईओ पदों के लिए कार्यकाल और ऊपरी आयु सीमा से संबंधित नियामकीय शर्तों की पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण है। रिजर्व बैंक ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि मुद्दों और चुनौतियों के समाधान के लिए उनके निदेशक मंडल में एमडी और सीईओ सहित कम-से-कम दो पूर्णकालिक निदेशक मौजूद हों। हालांकि, बैंक के निदेशक मंडल को पूर्णकालिक निदेशकों की संख्या के बारे में फैसला परिचालन आकार, व्यावसायिक जटिलता और अन्य प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।
बैंकों को दिया चार महीने का समय
सर्कुलर के मुताबिक इन निर्देशों के संदर्भ में जो बैंक फिलहाल न्यूनतम शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव चार महीने के भीतर जमा करने की सलाह दी जाती है। इसमें कहा गया है कि जिन बैंकों के संगठन नियमों में पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधान नहीं हैं, वे पहले आरबीआई से जल्द मंजूरी मांग सकते हैं।
आरबीआई के इस फैसले को निजी बैंकों में प्रबंधन को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।