Highlights
- ग्राहकों के हित में रिजर्व बैंक ने एक बड़ा कदम उठाया है
- एनबीएफसी बिल्डर को सभी जरूरी मंजूरियां मिलने पर ही कर्ज दें
- NBFC के निदेशकों को पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक कर्ज नहीं
मुंबई। अपना घर हर इंसान का सपना होता है, लेकिन बिल्डर्स की हेराफेरी अक्सर इन सपनों को तोड़ देती है। लेकिन अब ग्राहकों के हित में रिजर्व बैंक ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब गैर बैंकिंग कंपनियां बिल्डर को तभी कर्ज मुहैया करेंगी जब तक उसके पास प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी प्रकार की मंजूरियां नहीं होंगी। इस कदम से उम्मीद है कि प्रोजेक्ट समय पर ग्राहकों को घर उपलब्ध कराएंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) रियल एस्टेट क्षेत्र को तभी कर्ज दें, जब उन्हें उनकी परियोजनाओं के लिये सभी जरूरी मंजूरियां मिल गयी हों। आरबीआई ने साफ किया कि एनबीएफसी को कर्ज मंजूरी से पहले सरकार तथा अन्य नियामकीय प्राधिकरणों से उनकी परियोजनाओं को मंजूरी को सुनिश्चित करने की जरूरत होगी।
एनबीएफसी के चेयरमैन और रिश्तेदारों पर भी बंदिश
आरबीआई ने यह भी कहा कि एनबीएफसी को अपने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक या उनके रिश्तेदारों तथा संबंधित इकाइयों समेत अपने निदेशकों को पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक कर्ज नहीं देना चाहिए। ये नियम अक्टूबर से अमल में आएंगे। कर्ज देने को लेकर एनबीएफसी पर संशोधित नियामकीय पाबंदियों पर जारी अधिसूचना में केंद्रीय बैंक ने कहा कि पांच करोड़ रुपये से कम के ऋण के लिये इन कर्जदारों को उचित प्राधिकरण के जरिये मंजूरी दी जा सकती है लेकिन मामले को निदेशक मंडल (बोर्ड) के संज्ञान में लाने की जरूरत होगी।
RBI ने कहा
रियल एस्टेट क्षेत्र के कर्ज आवेदन पर गौर करते हुए एनबीएफसी यह सुनिश्चित करेंगी कि संबंधित कर्जदारों को उनकी परियोजनाओं को सरकार/स्थानीय प्राधिकरण/अन्य सांवधिक प्राधिकारों से जरूरी मंजूरी मिल गयी है।
अक्टूबर से लागू होंगे नियम
शीर्ष बैंक ने कहा कि कर्ज की मंजूरी सामान्य स्थिति में दी जा सकती है लेकिन वितरण तभी होगा, जब कर्जदार ने सरकार/अन्य सांवधिक निकायों से अपनी परियोजना को लेकर जरूरी मंजूरी हासिल कर ली हो। ये दिशानिर्देश एक अक्टूबर, 2022 से अमल में आएगा और मझोले स्तर (एमएल) तथा उच्च स्तर (यूएल) की एनबीएफसी पर लागू होगा।
कौन हैं ML और UL NBFC
बुनियादी स्तर (बीएल) की एनबीएफसी वे हैं, जो जमा स्वीकार नहीं करतीं और उनकी संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये से कम है। वहीं मझोले स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी जमा स्वीकार नहीं करती, पर उनका संपत्ति आकार 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक होता है। वहीं, उच्च स्तर की एनबीएफसी वे हैं, जिन्हें रिजर्व बैंक ने नियामकीय जरूरत बढ़ाने को लेकर चिन्हित किया है।