Highlights
- RBI ने 5 NBFC के पंजीकरण प्रमाणपत्र (CoRs) को रद्द कर दिया
- इन NBFC पर वसूली के नाम पर गुंडागर्दी करने का आरोप है
- रिजर्व बैंक को इन एनबीएफसी को लेकर काफी शिकायतें मिल रही थी।
रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार यदि कोई कर्जदार ऋ़ण चुकाने में चूक करता है तब भी बैंक रिकवरी एजेंटों के माध्यम से उस पर दबाव नहीं बना सकता है। लेकिन इंटरनेट के जरिए इजी लोन बांटने वाली एप नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों पर इतना दबाव बना रहे हैं कि कई ग्राहक आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर हुए हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने वसूली के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले 5 NBFC के पंजीकरण प्रमाणपत्र (CoRs) को रद्द कर दिया। ये सभी NBFC एप के जरिए कर्ज बांटती हैं। जिन एनबीएफसी के सीओआर रद्द किए गए हैं, उनमें यूएमबी सिक्योरिटीज, अनाश्री फिनवेस्ट, चड्ढा फाइनेंस, एलेक्सी ट्रैकॉन और झुरिया फाइनेंशियल सर्विसेज हैं।
फरवरी में भी हुई थी कार्रवाई
इससे पहले, फरवरी में, आरबीआई ने पीसी फाइनेंशियल को जारी किए गए सीओआर को रद्द कर दिया था। यह एनबीएफसी कैशबीन नामक ऐप के माध्यम से ऋण देने का काम करता था। बुधवार की अधिसूचना ऐप-आधारित उधारदाताओं के खिलाफ नियामक कार्रवाई का दूसरा प्रमुख उदाहरण है।
इन नाम से करते थे कारोबार
Fastapp Technologies | Datatimes | Bullintech Finance | TGHY Trustrock | Mrupee |
Kush Cash | Karna Loan | Mr Cash | FlyCash | Wifi Cash |
Badabro | Aeritech | Finclub Technologies | MoNeed | MoMo |
CashFish | credip | Rupyaland | Rupya master |
ले रहीं थी मोटा ब्याज
रिजर्व बैंक को इन एनबीएफसी को लेकर काफी शिकायतें मिल रही थी। एक ओर जहां ये एप वसूली के लिए गलत हथकंडे अपना रहे थे, वहीं इन पर असामान्य तरीके से ब्याज वसूलने का भी आरोप लग रहा था। इनके मैनेजमेंट चार्ज और अधिक ब्याज दरों के कारण कई बार लोन लेने वाले लोग कर्ज चुकाने में असमर्थता व्यक्त करते थे। इसके बाद उनकी वसूली प्रक्रिया ग्राहकों को और परेशान करती थी।
RBI ने क्यों लगाया बैन?
केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये कंपनियां अत्यधिक ब्याज वसूलने पर रोक से संबंधित मौजूदा नियमों का भी पालन नहीं कर रही थीं और ऋण वसूली के लिए ग्राहकों को परेशान कर रही थीं। आरबीआई ने कहा, ‘‘पांच एनबीएफसी के COR को थर्ड पार्टी के ऐप के माध्यम से किए गए अपने डिजिटल लोन संचालन में आउटसोर्सिंग और उचित व्यवहार संहिता पर नियामक के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिया गया है।’’