भारतीय कारोबारियों की जब भी बात होती है तो सबसे पहले टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का नाम सबसे पहले आता है। रतन टाटा ने अपने करियर में कई ऐसे फैसले लिए जिससे टाटा ग्रुप ने तो अपना विस्तार किया और साथ ही एक विकसित भारत की छवि के दर्शन भी पूरी दुनिया को कराए। आज के समय में टाटा ग्रुप का कारोबार स्टील से लेकर विमान सेवा तक फैला हुआ है। इस आर्टिकल में टाटा ग्रुप की बड़े अधिग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं।
टेटली
टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा टी की ओर से वर्ष 2000 में टेटली टी का अधिग्रहण किया गया था। रतन टाटा की अध्यक्षता में हुआ ये अधिग्रहण काफी अहम माना जाता है। इसके बाद टाटा ग्रुप ने वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार करना शुरू कर दिया। अधिग्रहण के समय टेटली 450 मिलियन डॉलर की कंपनी थी, जबकि टाटा टी का साइज 114 मिलियन डॉलर का था।
कोरस स्टील
टाटा स्टील की ओर से 2007 में ब्रिटिश कंपनी कोरस स्टील का अधिग्रहण कर लिया गया था। इस समय कोरस स्टील की वैल्यूएशन करीब 12 अरब डॉलर की थी। इस डील के बाद भारतीय कंपनी टाटा स्टील दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी के रूप में उभरी।
जेएलआर
टाटा मोटर्स की ओर से 2008 में 2.3 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर एक और ब्रिटिश कंपनी जेएलआर का अधिग्रहम किया गया। इसने टाटा मोटर्स को लक्जरी कार मार्केट में सेगमेंट की एक लीडिंग कंपनी बना दिया।
एयर इंडिया
टाटा ग्रुप की ओर से 2022 में एयर इंडिया का 18,000 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया गया था। एयर लाइन के अधिग्रहण के बाद टाटा ग्रुप ने इसे दोबारा खड़ा करने की योजना पर काम कर रहा है। एयर इंडिया द्वारा 470 नए प्लेन का ऑर्डर भी दे दिया गया है, जिसकी डिलीवरी भी एयरलाइन को मिलनी शुरू हो गई है।
अपने अधिग्रहणों को लेकर कही ये बात
रतन टाटा का विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण को लेकर एक कोट काफी मशहूर हैं, जिसमें वे कहते हैं कि अधिग्रहण का कोई भी फैसला लेने के बाद मैं सही साबित करके दिखाता हूं। शायद उनकी आधुनिक सोच का ही परिणाम था, जिसके कारण टाटा ग्रुप आज ग्लोबल बिजनेस हाउस के रूप में उभरा है।