उद्योगपति, परोपकारी और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा (86) को सोमवार तड़के ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाया गया। रतन टाटा वहां अपना रूटीन चेक अप करवाने पहुंचे हैं। रतन टाटा ने किसी भी तरह के अफवाहों पर विराम लगाते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- मैं अपने स्वास्थ्य के बारे में हाल ही में फैली अफवाहों से अवगत हूं और सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दावे निराधार हैं। मैं वर्तमान में अपनी उम्र और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। मैं अच्छे मूड में हूं और अनुरोध करता हूं कि जनता और मीडिया गलत सूचना फैलाने से बचें।
उपलब्धियों के बादशाह हैं रतन टाटा
रतन टाटा 1991 से 2012 में अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष थे। टाटा को टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया है। टाटा भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। वह सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जो भारत में निजी क्षेत्र द्वारा प्रमोटर दो सबसे बड़े परोपकारी ट्रस्ट हैं।
वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष हैं। टाटा ने टाटा-कॉर्नेल कृषि और पोषण संस्थान की शुरुआत की, भारत सरकार ने 2008 में श्री टाटा को अपने दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के सबसे उत्कृष्ट आदेश का नाइट ग्रैंड क्रॉस नियुक्त किया गया है और रॉकफेलर फाउंडेशन ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया है।
जगुआर और लैंड रोवर को खरीद चौंकाया था
साल 2008 में रतन टाटा ने फोर्ड मोटर कंपनी से टाटा मोटर्स द्वारा ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर खरीद ली थी। तब 2.3 बिलियन डॉलर का यह सौदा किसी भारतीय ऑटोमोटिव फर्म द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण था। रतन टाटा कॉर्नेल विश्वविद्यालय, इथाका, न्यूयॉर्क से पढ़ाई की है, जहां उन्होंने भारत में काम करने के लिए लौटने से पहले वास्तुकला में बी.एस. (1962) की उपाधि प्राप्त की।