प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सत्यम कंप्यूटर के बी रामलिंग राजू, बी राम राजू एवं अन्य को 14 वर्षों के लिए प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित करने का सेबी का आदेश बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया। इसके साथ ही अपीलीय न्यायाधिकरण ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को 14 साल पुराने इस मामले में नया आदेश जारी करने का भी निर्देश दिया। सेबी के वर्ष 2018 में आए दो आदेशों को छह लोगों ने सैट में चुनौती दी थी। इन आदेशों में सत्यम कंप्यूटर से जुड़े इन लोगों को 14 साल के लिए प्रतिभूति बाजार का हिस्सा बनने से रोक दिया था।
चार महीने के भीतर नया आदेश पारित करने का आदेश
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी के दृष्टिकोण को दोषपूर्ण बताते हुए कहा कि 14 साल की पाबंदी लगाने के पीछे की वजह नहीं बताई गई। इसके साथ ही उसने दोनों आदेशों को निरस्त कर दिया और चार महीने के भीतर नया आदेश पारित करने को कहा। बाजार नियामक ने यह कार्रवाई सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के प्रवर्तकों रामलिंग राजू और राम राजू के वित्तीय विवरणों में हेराफेरी करने और भेदिया कारोबार के जरिये गैरकानूनी ढंग से लाभ कमाने के मामले में की थी। राजू बंधुओं के अलावा बी सूर्यनारायण राजू और एसआरएसआर होल्डिंग्स पर सत्यम कंप्यूटर के शेयरों में संवेदनशील सूचनाओं के आधार पर गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे।
सत्यम घोटाला 2009 में सुर्खियों में आया था
सत्यम घोटाला जनवरी, 2009 में सुर्खियों में आया था। उस समय सत्यम कंप्यूटर के चेयरमैन रामलिंग राजू ने कंपनी के खातों में हेराफेरी को स्वीकार किया था। सेबी ने 16 अक्टूबर, 2018 को पारित आदेश में वी श्रीनिवास एवं जी रामकृष्ण को सात साल के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था। दोनों को गैरकानूनी ढंग से अर्जित 15.65 करोड़ और 11.5 करोड़ रुपये लौटाने को भी कहा गया था।
14 साल का लगाया था प्रतिबंध
सेबी ने दो नवंबर, 2018 को पारित एक अन्य आदेश में रामलिंग राजू, राम राजू, सूर्यनारायण राजू और एसआरएसआर होल्डिंग्स पर 14 साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा उन्हें गैरकानूनी ढंग से अर्जित 813 करोड़ रुपये लौटाने का भी आदेश दिया गया था। इन दोनों आदेशों में सेबी ने गैरकानूनी ढंग से जुटाई गई राशि को सात जनवरी, 2009 की तारीख से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने को कहा था।