रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि देश में तैयार ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' 1,500 किलोमीटर रेल रूट पर पूरी तरह इन्स्टॉल कर दी गई है। रेल मंत्री ने कहा कि कवच प्रणाली का दायरा बढ़ाने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। भाषा की खबर के मुताबिक, वैष्णव ने बीते बुधवार को कहा कि हमने साल 2016 में कवच सिस्टम के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी और 2020 तक इसका प्रायोगिक कार्य, परीक्षण, संशोधन और संस्करण बढ़ाया गया।
3,000 किलोमीटर पर चल रही तैयारी
खबर के मुताबिक, कवच का साल 2022 की शुरुआत में ही बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन कर इन्स्टॉल करने की शुरुआत हो गई थी। मंत्री ने कहा कि आज हमने 1,500 किलोमीटर लंबे रूट पर इस ट्रेन सिक्योरिटी सिस्टम 'कवच' को इन्स्टॉल कर लिया है। मुंबई-हावड़ा और दिल्ली-हावड़ा रूट के 3,000 किलोमीटर लंबे रेल रूट पर भी इन्स्टॉलेशन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वैष्णव ने कहा कि दिसंबर, 2023 या जनवरी, 2024 में रेलवे 3,000 किलोमीटर मार्ग पर इसे लगाने के लिए एक टेंडर जारी करेगा। साथ ही अगले साल मई-जून में हम कवच को 6,000 किलोमीटर रेल रूट पर लगाने के लिए एक और टेंडर जारी करेंगे।
कवच कैसे है वरदान
ट्रेन सिक्योरिटी सिस्टम 'कवच'चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक ऑटोमैटिक ट्रेन सिक्योरिटी सिस्टम है। इसे तीन भारतीय कंपनियों के सहयोग से रिसर्च डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। यह न सिर्फ ट्रेन के ड्राइवर को खतरे में सिग्नल पास करने और तेज गति से गाड़ी चलाने से बचाव में मदद करता है बल्कि इससे खराब मौसम के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद मिलती है। इस तरह ट्रेन ऑपरेशन की सुरक्षा और दक्षता बढ़ती है।
स्टेशन कवच की स्थापना का काम 33 प्रतिशत पूरा
रेल मंत्री ने कहा कि लगातार की गई कोशिशों से रेलवे ने हर साल 1,500 किलोमीटर रूट पर ‘कवच’ इन्स्टॉल करने के लिए महत्वपूर्ण क्षमता बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि कवच ऐसा उपकरण नहीं है जिसे सिर्फ इंजनों में ही लगाया जा सके। यह एक कम्प्लीट सिस्टम है जिसमें स्टेशनों, लोकोमोटिव, ट्रैक और रूट्स पर टावरों और रेडियो उपकरणों के रूप में स्थापित करने के कई घटक हैं।
उन्होंने कहा कि हमने 2022 में 3,000 किलोमीटर रूट पर इसे इन्स्टॉल करने के लिए टेंडर जारी की और प्रगति रिपोर्ट बहुत उत्साहजनक है। रेडियो सर्वेक्षण और रेडियो डिजाइन का काम 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। स्टेशन कवच की स्थापना का काम 33 प्रतिशत पूरा हो चुका है, ट्रैक के किनारे टावर की स्थापना का काम 58 प्रतिशत पूरा हो चुका है।