कोरोना लॉकडाउन के बीच भारतीय लोगों ने पहली बार पूरे देश में ट्रेनों के पहिए थमते देखे। फिर यही रेलगाड़ी संकट में घिरे देशवासियों की सबसे बड़ी खेवनहार भी बनी। लेकिन इस जनहितार्थ सेवा ने रेलवे के बहीखातों को अस्तव्यस्त कर दिया है। रेलवे इस समय भयंकर घाटे से जूझ रही है। सीनियर सिटीजन और महिलाओं को मिलने वाले कंसेशन भी बंद हैं। लेकिन अभी तक रेल किराये जस के तस हैं।
लेकिन रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) के ताजा संकेत इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि भारी घाटे से उबरने के लिए रेलवे जल्द ही यात्री किरायों में वृद्धि कर सकती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को सीनियर सिटीजन के कंसेशन से जुड़े लोकसभा में पूछे एक सवाल के जवाब में संकेत दिया है कि रेल का किराया बढ़ सकता है।
यात्रियों को मिलती है 55 प्रतिशत छूट
रेलमंत्री ने बताया कि वर्तमान में एक यात्री के किराये पर रेलवे का प्रति किमी खर्च करीब 1.16 रुपये है। जबकि रेलवे यात्रियों से सिर्फ केवल 45 से 48 पैसे प्रति किमी ही वसूलती है। प्रत्येक यात्री को रेलवे की तरफ से 59000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है। ऐसे में रेलवे पहले ही यात्रियों को काफी भारी छूट दे रही है। नई ट्रेनों का संचालन समेत रेलवे लाइन का विस्तार किया जा रहा है। ऐसे में रेलवे को भारी मात्रा में वित्तीय संसाधनों की जरूरत है।
फिलहाल नहीं मिलेगी बुजुर्गों को छूट
महाराष्ट्र से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के एक सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बुधवार को कहा कि रेलवे द्वारा कोरोना काल में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें वापस ले ली थीं, लेकिन फिलहाल इन्हें बहाल करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय प्रत्येक रेल यात्री को 59000 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलती है। जिसके चलते रेलवे पहले ही भारी बोझ के बीच संचालन कर रही है।
रेलवे को बचाने के लिए सख्त फैसले लेने होंगे
ट्रेन टिकट में वृद्धि की बात रेल मंत्री के इस बयान से साफ पता चलती है। रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि रेलवे द्वारा दी जा रही 59,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी कई राज्यों के वार्षिक बजट से भी बड़ी है। रेलवे इस समय हर साल 60,000 करोड़ रुपये की पेंशन का बोझ उठा रहा है। वहीं मौजूदा कर्मचारियों का वेतन ही करीब 97,000 करोड़ रुपये है। इसके अलावा ईंधन पर 40,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। ऐसे में कोरोना के दौरान हुए भीषण घाटे से उबरने के लिए रेलवे को नए फैसले लेने होंगे।