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चालू वित्त वर्ष में प्राइवेट कैपेक्स बढ़कर 2.45 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद, जानें पिछले साल कितने रुपये हुए थे खर्च

बुलेटिन के मुताबिक, आने वाले प्रोजेक्ट्स की फंडिंग की चरणबद्ध रूपरेखा से पता चलता है कि इनके लिए अनुमानित पूंजीगत व्यय 2023-24 के 1.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2.45 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Aug 20, 2024 7:45 IST, Updated : Aug 20, 2024 7:45 IST
प्राइवेट कैपेक्स में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद
Photo:REUTERS प्राइवेट कैपेक्स में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद

सोमवार को जारी किए गए RBI बुलेटिन में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में निजी पूंजीगत व्यय (प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर) सालाना आधार पर 54 प्रतिशत बढ़कर 2.45 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। बुलेटिन में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी कैपेक्स 1.59 लाख करोड़ रुपये था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कर्मचारियों- कमल गुप्ता, राजेश कावेदिया और अन्य द्वारा लिखे गए इस बुलेटिन में कहा गया कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट्स के आधार पर प्राइवेट कॉरपोरेट के इंवेस्टमेंट का विश्लेषण करने के बाद ये अनुमान लगाया गया है।

इंवेस्टमेंट साइकल के पॉजिटिव बने रहने की उम्मीद

बुलेटिन के मुताबिक, आने वाले प्रोजेक्ट्स की फंडिंग की चरणबद्ध रूपरेखा से पता चलता है कि इनके लिए अनुमानित पूंजीगत व्यय 2023-24 के 1.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2.45 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इसमें आगे कहा गया कि इंवेस्टमेंट साइकल के पॉजिटिव बने रहने की उम्मीद है और इसकी स्थिरता पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।

राजकोषीय विवेक और व्यापक स्थिरता के बीच सही संतुलन

इसके अलावा, आरबीआई के बुलेटिन में कहा गया है कि आम बजट में राजकोषीय विवेक और व्यापक स्थिरता के बीच सही संतुलन बनाया गया है। जिससे मध्यम अवधि में वृद्धि का नजरिया मजबूत हुआ है। इसमें कहा गया है कि 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट डॉक्यूमेंट्स में व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने और इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टरों में क्षमता दोहन पर जोर दिया गया है।

राजकोषीय घाटे को 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने की कोशिश

इसमें कहा गया कि बजट दस्तावेज का मकसद राजकोषीय समेकन को आगे बढ़ाते हुए देश के विकास और रोजगार सृजन को सपोर्ट करना है। इसके मुताबिक, राजकोषीय घाटे को 4.9 प्रतिशत तक सीमित करने के साथ सरकार का इरादा इस आंकड़े को उस स्तर पर बनाए रखना है, जहां केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में घटता रहेगा।

पीटीआई इनपुट्स के साथ

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