Power Sector: केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि मोदी सरकार के नौ वर्षों के कार्यकाल में देश के बिजली क्षेत्र में कायापलट हुआ है और हम विद्युत की कमी की स्थिति से उबरकर अधिशेष की स्थिति में आ गये हैं। सिंह ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियां गिनाने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले नौ वर्षों में 185 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी गई जिससे देश अब बिजली अधिशेष की स्थिति में आ चुका है। इस समय देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 416 गीगावाट है जो अधिकतम बिजली मांग के दोगुने के करीब है। यहां तक कि भारत अपने पड़ोसी देशों को बिजली का निर्यात भी कर रहा है।
दुनिया है गवाह
सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया ने पिछले नौ वर्षों में भारत के बिजली क्षेत्र का कायापलट होते हुए देखा है। पावर ट्रांसमिशन के लिए 1.97 लाख सर्किट किलोमीटर की पारेषण लाइन भी जोड़ी गई है जिससे पूरा देश एक ग्रिड से जुड़ चुका है। इन पारेषण लाइन से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक 1.12 लाख मेगावाट बिजली भेजी जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान भी वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 16.44 प्रतिशत पर आ गया जो 2020-21 में 22 प्रतिशत था। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत ने सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सर्वाधिक वृद्धि दर हासिल की है।
78 अरब डॉलर का 2014 के बाद हुआ निवेश
मार्च 2014 में हरित ऊर्जा की स्थापित क्षमता 76.37 गीगावाट थी लेकिन मई 2023 तक यह 2.27 गुना बढ़कर 173.61 गीगावाट हो गई। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में वर्ष 2014 से अब तक करीब 78 अरब डॉलर का निवेश हुआ है जिसमें से 10.3 अरब डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।