Thursday, November 21, 2024
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आलू, प्याज, टमाटर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी, अक्टूबर में घर में बना खाना हुआ महंगा

रिपोर्ट में कहा गया है कि वेज थाली में 11 प्रतिशत भारांश वाली दालों की कीमतों में इस महीने 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिसका कारण शुरुआती स्टॉक में कमी, स्टॉक पाइपलाइन में कमी और त्योहारी मांग का होना है।

Edited By: Sunil Chaurasia
Updated on: November 06, 2024 20:47 IST
टमाटर की कीमतों में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी- India TV Paisa
Photo:FREEPIK टमाटर की कीमतों में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी

सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में वेज और नॉन-वेज दोनों तरह का घर में बना खाना महंगा हो गया। बुधवार को रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में बताया गया कि वेज थाली की कीमत पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़कर 33.3 रुपये प्रति प्लेट हो गई। जबकि सितंबर में इसकी कीमत 31.3 रुपये से ज्यादा थी, सितंबर में भी महंगे खाने की मुख्य वजह से सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतें थीं। मासिक 'रोटी चावल दर' रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में प्याज की कीमतों में सालाना आधार पर 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि आलू की कीमतें 51 प्रतिशत बढ़ीं। आलू और प्याज की कीमतों में हुई इस भारी बढ़ोतरी की मुख्य वजह बारिश थी, जिसके कारण आवक कम हुई और महाराष्ट्र और कर्नाटक में फसल भी प्रभावित हुई।

टमाटर की कीमतों में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि टमाटर की कीमतें एक साल पहले की समान अवधि के 29 रुपये प्रति किलोग्राम से दोगुनी होकर 64 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं, क्योंकि बारिश के कारण आवक प्रभावित हुई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से सप्लाई शुरू होने के साथ नवंबर से टमाटर की कीमतें स्थिर होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतों का कुल थाली लागत में 40 प्रतिशत भारांश होता है और इसलिए उतार-चढ़ाव ने कुल लागत को प्रभावित किया है।

दाल के भाव में भी 11 प्रतिशत की तेजी

इसमें कहा गया है कि वेज थाली में 11 प्रतिशत भारांश वाली दालों की कीमतों में इस महीने 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिसका कारण शुरुआती स्टॉक में कमी, स्टॉक पाइपलाइन में कमी और त्योहारी मांग का होना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आवक के कारण दिसंबर से कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है। ईंधन की लागत में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की गिरावट ने खाने की लागत में बड़ी बढ़ोतरी को रोकने में कुछ मदद जरूर की है।

नॉन-वेज थाली की लागत में धीमी बढ़ोतरी

क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन-वेज थाली के मामले में, ब्रॉयलर की कीमतों में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो थाली की लागत का आधा हिस्सा है। इस गिरावट ने नॉन-वेज थाली की लागत में होने वाली बढ़ोतरी को धीमा करने में अहम योगदान दिया। इसमें कहा गया है कि घर में बनी नॉन-वेज थाली की कीमत अक्टूबर में 61.6 रुपये रही, जबकि एक महीने पहले इसी अवधि में ये 59.3 रुपये और एक साल पहले इसी अवधि में 58.6 रुपये थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मांसाहारी थाली की लागत में 22 प्रतिशत हिस्सा सब्जियों की कीमतों का भी रहा।

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