Wednesday, December 25, 2024
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मूवी थिएटर में पॉपकॉर्न पर GST कितना लगेगा? जानें इस पर क्या हुआ है फैसला

जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया, क्योंकि उसे उत्तर प्रदेश से नमक और मसालों के साथ मिक्स्ड पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने का अनुरोध हासिल हुआ था।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Dec 24, 2024 22:22 IST, Updated : Dec 24, 2024 22:22 IST
जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया।
Photo:FILE जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया।

मूवी थिएटर (सिनेमाघर) में खुले रूप में बेचे जाने वाले पॉपकॉर्न पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता रहेगा। इतना ही जीएसटी रेस्टोरेंट पर भी लगता है। हां, एक बात जरूर समझ लें कि अगर पॉपकॉर्न को मूवी टिकट के साथ मिलाकर बेचा जाता है, तो सप्लाई को ज्वाइंट सप्लाई माना जाएगा और उस पर मुख्य सप्लाई, यानी टिकट की लागू दर के मुताबिक टैक्स लगाया जाएगा। भाषा की खबर के मुताबिक, जीएसटी के तहत नमक और मसालों के साथ मिश्रित पॉपकॉर्न को नमकीन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इस पर 5 प्रतिशत कर लगता है। जब इसे पहले से पैक करके लेबल किया जाता है, तो इसकी दर 12 प्रतिशत होती है।

परिषद की 55वीं बैठक में स्पष्टीकरण दिया गया

खबर के मुताबिक, जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया, क्योंकि उसे उत्तर प्रदेश से नमक और मसालों के साथ मिक्स्ड पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने का अनुरोध हासिल हुआ था। कुछ तय वस्तुओं को छोड़कर सभी चीनी कन्फेक्शनरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, और इसलिए, कारमेलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 18 प्रतिशत की दर लागू होती है।

स्पष्टीकरण जारी करने की सिफारिश

सरकारी सूत्रों ने बताया कि जीएसटी परिषद ने नमक और मसालों के साथ मिश्रित रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर वर्गीकरण विवादों के समाधान की सुविधा के लिए स्पष्टीकरण जारी करने की सिफारिश की है। खाद्य पदार्थों सहित सभी वस्तुओं को हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) वर्गीकरण के मुताबिक, जीएसटी के तहत वर्गीकृत किया जाता है, जो विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) द्वारा विकसित एक बहुउद्देशीय अंतरराष्ट्रीय वस्तु नामकरण है।

इस प्रणाली का इस्तेमाल 200 से अधिक देशों द्वारा किया जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 98 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है। अलग-अलग जीएसटी दरें सिर्फ एचएस सिस्टम के अलग-अलग अध्यायों के तहत वस्तु के वर्गीकरण के परिणामस्वरूप हैं।

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