PM Modi govt 8 years: भारत में आजादी के बाद से महिलाओं के कल्याण को लेकर सैकड़ों स्कीमें बनीं। महिलाओं का सशक्तिकरण भी हुआ, लेकिन देश के हजारों गांवों में अभी भी ऐसी महिलाएं थी जिन्हें दिन के तीन पहर चूल्हे के सामने बैठकर खाना पकाना पड़ता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमारे देश में लाखों ऐसे घर हैं जिनके पास रसोई गैस उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण उनको बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
लेकिन नए भारत में 2016 के बाद से सब कुछ बदल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल का तीसरा बरस शुरू होने से पहले 1 मई 2016 को देश में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की गई। बीते साल 10 अगस्त को इस योजना के दूसरे चरण प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत हुई जिसमें महिलाओं को गैस सिलेंडर के साथ खाना पकाने के दूसरे उपकरण भी दिए जाने लगे हैं। इस योजना ने जहां महिलाओं को चूल्हे के धुंऐ से मुक्ति प्रदान की वही उज्जवला स्कीम मोदी सरकार के लिए एक गेमचेंजर साबित हुई है।
क्या है प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश की 18 वर्ष से अधिक उम्र की एपीएल, बीपीएल तथा राशन कार्ड धारक महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध करवाई जाती है। इस योजना का संचालन केंद्र सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस योजना के पहले तीन वर्षों में सरकार ने 8000 करोड़ का लक्ष्य तय किया था, जिसमें लाभार्थी महिलाओं के खातों में 1600 रुपये ट्रांसफर किए जाने थे। योजना के पहले चरण में 14743862 लाभार्थियों को उत्तर प्रदेश में गैस कनेक्शन प्रदान किए गए। 30 जुलाई 2021 तक इस योजना के माध्यम से 79995022 लाभार्थियों को लाभ पहुंचा है। योजना के पहले चरण में आठ करोड महिलाओं को उज्जवला का लाभ दिया गया जिसे 2019 में पूरा किया गया।
2021 में आई उज्जवला 2.0
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत 10 अगस्त 2021 को की गई है। तहत महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर के साथ फ्री गैस चूल्हा दिया जाएगा। जिसके अंतर्गत लाभार्थियों को रिफिल एवं हॉट प्लेट, एलपीजी गैस कनेक्शन के साथ निशुल्क प्रदान की जाती है। लाभार्थियों को गैस स्टोव खरीदने के लिए ब्याज मुक्त लोन भी मुहैया करवाया जाता है। इस योजना को प्रधानमंत्री जी के द्वारा महोबा जिले से लॉन्च किया गया।
मोदी सरकार के लिए गेमचेंजर रही उज्ज्वला योजना
प्रचंड बहुमत के साथ 2014 में सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार के लिए महिलाओं से जुड़ी ये योजना बेहद अहम साबित हुई। इस योजना के कार्यान्वयन कई राज्यों में भ्रष्टाचार की खबरें भी आईं। वहीं ऐसी भी खबरें आईं जहां एलपीजी की महंगी कीमतों की वजह कई लाभार्थी एक बार मुफ्त में सिलेंडर पाने के बाद दोबारा इसे नहीं खरीद पाए। लेकिन इन सभी मुश्किलों के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाएं अभी भी इस योजना का लाभ उठा रही हैं। यही कारण है इसे मोदी सरकार के लिए एक गेमचेंजर स्कीम कहा जाता है।
लगे गंभीर आरोप
आरटीआई (RTI) कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर की ओर से दाखिल की गई आरटीआई (RTI) में पता चला है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर (FY22) में यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान 90 लाख लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर नहीं भराया। इनके अलावा 01 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों ने पूरे साल के दौरान सिर्फ एक सिलेंडर भरवाया।