Highlights
- 22 जून 2015 को पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की
- योजना देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों को पक्के घर उपलब्ध कराती है
- इससे जुड़े स्टील, सीमेंट जैसे उद्योगों का पहिया भी तेजी से घूमा
PM Modi govt 8 years: रोटी कपड़ा और मकान! इन तीन चीजों को इंसान की सबसे अहम जरूरत माना जात है। आजादी के बाद बीते 7 दशकों केंद्र और राज्य सरकारों ने लोगों का पेट भरने और तन ढ़कने के लिए तो इंतजाम किए लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोगों को सिर पर छत मयस्सर नहीं है। शहरों से लेकर पिछड़े गांवों में बड़ी संख्या में लोग झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। कच्चे घरों में गुजर बसर कर रहे ये लोग खराब मौसमके साथ ही संक्रामक बीमारियों की मार सबसे ज्यादा झेलते हैं।
लोगों की इसी मुश्किल को हल करने के लिए 22 जून 2015 को पीएम मोदी ने अपनी सरकार की पहली सालगिरह के मौके पर प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की। सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग तथा मध्यम आयवर्ग के व्यक्तियों को जिनके पास स्वंय का घर नहीं है उनको स्वयं के पक्के घर उपलब्ध कराती है। सरकार की इस योजना से दो फायदे मिले, पहला आम लोगों को उनके घर की चाबी मिली। वहीं दूसरी ओर देश के सुस्त पड़े रियल एस्टेट उद्योग के साथ ही इससे जुड़े स्टील, सीमेंट जैसे उद्योगों का पहिया भी तेजी से घूमा।
क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य प्रत्येक पात्र परिवार को स्वंय का घर उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रो में झुग्गी झोपड़ी, कच्चे मकानो मे रहने वाले और EWS, LIG तथा MIG इनकम ग्रुप के व्यक्तियो को सम्मिलत किया जाता है। पीएम आवास योजना के अंतर्गत घर खरीदने पर सरकार द्वारा होम लोन के ब्याज पर 2.67 लाख रुपए की सब्सिडी प्रदान की जाती है। सरकार 20 लाख घरो का निर्माण करवाएगी जिनमे से 18 लाख घर झुग्गी –झोपड़ी वाले इलाके में बाकि 2 लाख शहरों के गरीब इलाकों में किया जायेगा।
रियल एस्टेड इंडस्ट्री को बड़ा मौका
देश का रियल एस्टेट सेक्टर और इससे जुड़ी स्टील, सीमेंट, ईट भटठे जैसे उद्योग देश में रोजगार के सबसे बड़े स्रोत हैं साथ ही ये उद्योग देश की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जहां देश में 5 वर्षों में लाखों मकानों का निर्माण और मरम्मत होनी हो, तो इसका सबसे बड़ा लाभ भी इन्ही उद्योगों को मिलता है। इस योजना की शुरुआत के बाद से देश के सीमेंट और स्टील उद्योग को भारी मात्रा में डिमांड मिली है।
2019 के चुनाव में बड़ा मुद्दा
इस योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्यों पर थी। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना की सफलता इस बात से पता चलती है कि गैर भाजपा राज्यों ने भी लोगों को घर दिलाने में इस योजना में काफी बढ़ चढ़ कर साथ दिया। इस सामाजिक योजना का लाभ 2019 के आम चुनाव में भी दिखाई दिया। 2014 के बाद 2019 में प्रचंड बहुमत के पीछे ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम आवास और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की सफलता का काफी योगदान रहा है।
कोरोना से पिछड़ा लक्ष्य
इस योजना की शुरुआत के समय 2022 तक सभी परिवारों को मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन 2022 तक यह योजना अपना आंशिक लक्ष्य ही प्राप्त कर पाई है। इसका एक प्रमुख कारण 2020 में आई कोरोना महामारी को भी माना जा रहा है। भारत में बड़ी संख्या में लोगों के महाप्रवास के कारण मजदूरों की बड़ी कमी पैदा हो गई। वहीं समय समय पर आए लॉकडाउन ने भी इस योजना की रफ्तार को धीमा कर दिया।