पीएम गति शक्ति पहल के तहत सड़क और रेल क्षेत्र की 9,600 करोड़ रुपये की तीन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी देने की सिफारिश की गई है। एक आधिकारिक बयान में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई। इन परियोजनाओं का आकलन 17 अक्टूबर को 64वें नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की बैठक में किया गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘बैठक में एनपीजी ने रेल मंत्रालय (1) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (2) की तीन प्रस्तावित ‘ग्रीनफील्ड’ परियोजनाओं पर चर्चा की जिनकी कुल परियोजना लागत करीब 9,600 करोड़ रुपये है।’ बैठक की अध्यक्षता उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) सुमिता डावरा ने की। अंतर-मंत्रालयी एनपीजी हर पखवाड़े बैठक करती है। यह पहल लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने के लिए एक एकीकृत बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए शुरू की गई थी। 500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली सभी लॉजिस्टिक्स एवं कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को एनपीजी मार्ग से आगे बढ़ाया जाता है। वित्त मंत्रालय के तहत सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी) या व्यय विभाग द्वारा परियोजना को मंजूरी देने से पहले एनपीजी की मंजूरी आवश्यक है।
विशेषता के आधार पर होगी टेंडर प्रक्रिया
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि उनका मंत्रालय विभिन्न सड़क निर्माण-संबंधित परियोजनाओं के लिए बोलियों के चयन को सदियों पुरानी कम से कम लागत वाली चयन प्रक्रिया के स्थान पर गुणवत्ता-सह-लागत (Qualitative Tender Process) आधारित प्रणाली को अपनाएगा। इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि इसका मकसद देश में बुनियादी ढांचे से संबंधित विभिन्न कार्यों की गुणवत्ता में सुधार लाना है। गडकरी ने कहा कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करते समय सड़क इंजीनियरिंग समाधान का ध्यान रखा जाना चाहिए।
खराब इंजीनियरिंग सबसे अधिक जिम्मेदार
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, ‘ सड़क मंत्रालय विभिन्न परियोजनाओं के लिए जल्द ही कम लागत वाली बोली प्रक्रिया के बजाय गुणात्मक निविदा प्रक्रिया अपनाएगा’। गडकरी ने कहा कि देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के लिए सड़क संबंधी खराब इंजीनियरिंग सबसे अधिक जिम्मेदार है। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि हाल ही में देश में सात सड़कों का सड़क सुरक्षा ऑडिट किया गया था। अकेले पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे पर लगभग 57 इंजीनियरिंग संबंधी कमियां पाई गईं, जबकि अन्य सड़क परियोजनाओं में कुछ खामियां सामने आईं। कार्यक्रम में आईआरएफ के मानद अध्यक्ष के.के.कपिला ने कहा कि सुरक्षित परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए सड़कों की इंजीनियरिंग, वाहनों की इंजीनियरिंग, प्रवर्तन, शिक्षा तथा आपात देखभाल सहित समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।