Investment in Gold : सोने के शानदार रिटर्न देने से बड़ी संख्या में लोग इसमें इन्वेस्ट करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। आप इन्वेस्टमेंट के लिए जा रहे हैं, तो जरूरी नहीं कि आप सर्राफा बाजार में जाकर फिजिकल गोल्ड ही खरीदें। आप डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसमें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) और गोल्ड ETFs (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) शामिल हैं। डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड दोनों पर टैक्स समान तरह से लगता है। लेकिन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में टैक्स के नियम अलग हैं। साथ ही ध्यान रखें कि फिजिकल गोल्ड में मेकिंग चार्जेज होते हैं। अगर आप बैंक लॉकर में इसे रखते हैं, तो उसके भी चार्जेज हैं। वहीं, डिजिटल गोल्ड में इस तरह के चार्जेज नहीं होते।
सोने में निवेश के विकल्पों पर टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में टैक्स के नियम अलग होते हैं। अगर आप इन्हें खरीदने के 3 साल के अंदर सैकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो इन पर आपकी स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा। लेकिन अगर आप इन्हें तीन साल होल्ड करने के बाद सेल करते हैं, तो इन पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। और अगर आप इन्हें मैच्योरिटी तक रखते हैं, तो इन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी अवधि 8 साल की होती है और 5 साल बाद इनमें अर्ली रिडेम्पशन का ऑप्शन भी मिलता है। इन बॉन्ड्स पर मिलने वाली 2.5 फीसदी की एनुअल इनकम पर टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF)
ईटीएफ पर होने वाली अर्निंग्स पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। आप इन्हें कब बेचें यह फर्क नहीं पड़ता। AMFI के आंकड़ों के अनुसार, 29 फरवरी 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार 28,529 करोड़ रुपये कुल एयूएम की 17 गोल्ड ईटीएफ स्कीम्स हैं।
फिजिकल गोल्ड (coins/ biscuits)
फिजिकल गोल्ड में टैक्स डिजिटल गोल्ड की तरह ही लगता है। अगर यह खरीदने के 3 साल के बाद बेचा जाता है, तो इस पर 20 फीसदी+8 फीसदी सेस के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। जब इसे 3 साल के भीतर बेचा जाता है, तो गेन्स आपकी इनकम मे जुड़ जाएगा और स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।