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पाइरेसी बनी भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए मुसीबत, बीते साल ₹22,400 करोड़ का लगा चूना

मूल सामग्री चोरी यानी पाइरेसी का मतलब यहां किसी की कॉपीराइट सामग्री की गैर-कानूनी नकल, डिस्ट्रीब्यूशन या इस्तेमाल से है। इसमें संगीत, फिल्में, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा आदि शामिल हो सकते हैं।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Oct 23, 2024 17:17 IST, Updated : Oct 23, 2024 17:17 IST
साल 2026 तक फिल्म मनोरंजन का कारोबार 14,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
Photo:PIXABAY साल 2026 तक फिल्म मनोरंजन का कारोबार 14,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

पाइरेसी से भारतीय मनोरंजन उद्योग काफी पहले से परेशान है। लेकिन बीते साल के ताजा आंकड़े ने तो सबको हैरान कर दिया है। भारतीय मनोरंजन उद्योग को 2023 में मूल सामग्री की चोरी यानी पाइरेसी से 22,400 करोड़ रुपये का भारी-भरकम नुकसान हुआ है। ईवाई और इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की बुधवार को जारी द रॉब रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल सामग्री की चोरी (पाइरेसी) के जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए मजबूत रेगुलेशन और सहयोगात्मक कोशिशों की जरूरत है।

सबसे ज्यादा पाइरेसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये

खबर के मुताबिक,  भारत में 51 प्रतिशत मीडिया उपभोक्ता मूल सामग्री को अवैध स्रोतों (पाइरेटेड) से हासिल करते हैं। इसमें सबसे ज्यादा 63 प्रतिशत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये ऐसा किया जा रहा है। भारत में मूल सामग्री की चोरी के जरिये 2023 में 22,400 करोड़ रुपये की कमाई की गई। इसमें से 13,700 करोड़ रुपये सिनेमाघरों में अवैध तरीके बनाई की गई सामग्री से, जबकि 8,700 करोड़ रुपये ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री से हासिल किए गए। अनुमान है कि इससे 4,300 करोड़ रुपये तक का संभावित माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का नुकसान हुआ है।

पाइरेसी को समझिए

मूल सामग्री चोरी यानी पाइरेसी का मतलब यहां किसी की कॉपीराइट सामग्री की गैर-कानूनी नकल, डिस्ट्रीब्यूशन या इस्तेमाल से है। इसमें संगीत, फिल्में, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा आदि शामिल हो सकते हैं। इसे चोरी का एक रूप माना जाता है क्योंकि यह मूल रचनाकारों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इससे उन्हें महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हो सकता है। आईएएमएआई की डिजिटल मनोरंजन समिति के चेयरमैन रोहित जैन ने हितधारकों के बीच सामूहिक कार्रवाई की तत्काल जरूरत पर बल दिया।

फिल्म मनोरंजन का कारोबार ₹14,600 करोड़ हो जाएगा

जैन ने कहा कि भारत में डिजिटल मनोरंजन की तेज ग्रोथ से इनकार नहीं किया जा सकता है। साल 2026 तक फिल्म मनोरंजन का कारोबार 14,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, इस संभावना को मूल सामग्री की चोरी से गंभीर खतरा है। सभी हितधारकों सरकारी निकायों, उद्योग जगत की कंपनियों और उपभोक्ताओं को इस मुद्दे से निपटने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की सामग्री अधिकतर 19 से 34 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों को आकर्षित करती है।

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