देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना का लाभ अब रोजगार के मोर्चे पर भी मिलना शुरु हो गया है। इस स्कीम के आने के बाद देश के एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी निभा रही मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री इस साल तेजी से विस्तार करेगी। जिसके चलते मौजूदा वित्त वर्ष में देश की मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में 1,50,000 तक नई नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।
अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में रिक्रूटमेंट फर्म के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि बड़े हैंडसेट निर्माता भारत में बड़े पैमाने पर हायरिंग की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बाहर निर्माण के लिए वैश्विक बदलाव और भारत सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम के कारण यह बदलाव देखने को मिल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैमसंग, नोकिया, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन, पेगाट्रॉन, टाटा ग्रुप और सालकॉम्प जैसे बड़े कॉर्पाेरेट दिग्गज देश में अपने कार्यबल में वृद्धि कर सकते हैं। टीमलीज, रैंडस्टैड, क्वेस और सील एचआर सर्विसेस जैसी स्टाफिंग कंपनियों ने कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र में अनुमानित 120,000-150,000 नए रोज़गार सृजित होंगे। इसमें से लगभग 30,000-40,000 भर्तियां प्रत्यक्ष पदों पर होने की संभावना है।
टीमलीज सर्विसेज के सीईओ (स्टाफिंग) कार्तिक नारायण ने ईटी को बताया, ’ज्यादातर मोबाइल ब्रांड्स और उनके कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली पार्टनर्स, जिनके पास पहले से ही भारत में मैन्युफैक्चरिंग का कोई रूप है या स्थापित करना चाहते हैं, हायरिंग बढ़ा रहे हैं।’ रिपोर्ट के अनुसार क्वेस और सीआईएल के एचआर अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023 की तुलना में इस वित्त वर्ष में भर्तियों में 100 प्रतिशत की वृद्धि देखी है।