Highlights
- सरकार ने 3 हफ्तों के भीतर ही पेट्रोल डीजल पर विंडफॉल टैक्स वापस ले लिया
- सरकार ने 1 जुलाई को ईंधन के निर्यात पर यह अप्रत्याशित टैक्स लगाया था
- पेट्रोल के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर वहीं जेट ईंधन को भी 6 रुपये प्रति लीटर से घटाया
Petrol Diesel Tax Relief : इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में गिरावट और तेल कंपनियों के भारी दबाव के बीच सरकार ने 3 हफ्तों के भीतर ही पेट्रोल डीजल और जेट फ्यूल पर लगाया विंडफॉल टैक्स वापस ले लिया है। सरकार ने 1 जुलाई को ईंधन के निर्यात पर यह अप्रत्याशित टैक्स लगाया था। तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर पर थीं, जो अब घटकर 100 डॉलर पर आ गई हैं।
वित्त मंत्रालय ने अपने नोटिफिकेशन में बताया कि पेट्रोल के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर कर में कमी की गई है, वहीं जेट ईंधन (ATF) को भी 6 रुपये प्रति लीटर से घटा कर 4 रुपये प्रति लीटर किया गया है। डीज़ल पर कर को 13 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 11 रुपये लीटर किया गया है। घरेलू कच्चे तेल उत्पाद पर 23,250 रुपये अतिरिक्त कर को घटा कर 17,000 रुपये प्रति टन किया गया है।
क्यों लगाया था टैक्स
सरकार ने 1 जुलाई को यह टैक्स लगाते हुए बताया था कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के कारण घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य को बढ़ने से रोकने के लिए निर्यात पर टैक्स लगाया गया था। इसका मकसद था कि कंपनियां यहां रिफाइन किए गए ईंधन को निर्यात करने के बजाए घरेलू बाजार में ही खपत कराएं, ताकि आपूर्ति बेहतर हो और कीमतें कम की जा सकें। यह अतिरिक्त टैक्स लागू होने के बाद से ही तेल कंपनियां इसका विरोध कर रहीं थी।
छूट का फायदा सिर्फ 2 कंपनियों को
सरकार के इस फैसले का फायदा रिलायंस जैसी रिफाइन ईंधन का निर्यात करने वाली कंपनियों को होगा। इसके अलावा रोजनेफ्ट की कंपनी नायरा एनर्जी को भी नए फैसले से लाभ होगा। ये दोनों कंपनियां मिलकर करीब 85 फीसदी ईंधन का निर्यात करती हैं। एक्सपर्ट का अनुमान था कि इस फैसले से सरकार को एक साल में करीब 1 लाख करोड़ रुपये की आमदनी होगी।