ऑनलाइन फर्नीचर स्टोर पेपरफ्राई (Pepperfry) के को-फाउंडर अंबरीश मूर्ति का सोमवार को लेह में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 51 साल के थे। उनके दोस्त और पेपरफ्राई के सह-संस्थापक, आशीष शाह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में उनके निधन की जानकारी दी। शाह ने लिखा, "यह बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि मेरे दोस्त, गुरु, भाई, आत्मीय साथी @AmbereshMurty अब नहीं रहे। कल रात लेह में दिल का दौरा पड़ने की वजह से हमनें उन्हें खो दिया।" आईआईएम कलकत्ता के पूर्व छात्र मूर्ति ने वर्ष 2012 में मुंबई में होम डेकोर कंपनी पैपरफ्राई की स्थापना की थी।
मूर्ति ट्रैकिंग के बड़े शौकीन थे। छुट्टियों के लिए उनकी पसंदीदा जगह लद्दाख थी। उन्होंनें एक इंटरव्यू में बताया था कि जंस्कार वैली के चादर ट्रैक में उनका ट्रैकिंग एक्सपीरिएंस उनके सबसे अच्छे अनुभवों में से एक था। मूर्ति के असमय निधन पर, कैशकरो की सह-संस्थापक स्वाति भार्गव ने ट्वीट किया, “कार्डियक अरेस्ट के कारण @AmbereshMurty के आकस्मिक निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ और चौंकाने वाला है। उसकी आत्मा को शांति मिलें। एक शानदार उद्यमी और कई लोगों के लिए प्रेरणा... @Pepperfry के साथ उनकी विरासत हमेशा जीवित रहे।"
अंबरीश मूर्ति कौन थे? (Who was Ambareesh Murty)
- 51 वर्षीय अंबरीश ने प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता से पढ़ाई की जिसके बाद उन्होंने कैटबरीज, ईबे जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। उन्होंने अपनी पहली नौकरी कैडबरी के साथ शुरू की - जो 2010 से मोंडेलेज इंटरनेशनल के स्वामित्व वाली एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कन्फेक्शनरी कंपनी है और मार्स के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कन्फेक्शनरी ब्रांड है।
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्तीय क्षेत्र में जाने से पहले उन्होंने चॉकलेट कंपनी के साथ पांच साल से अधिक समय तक काम किया। उन्होंने लगभग दो वर्षों तक आईसीआईसीआई एएमसी में मार्केटिंग और कस्टमर केयर के वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम किया।
- बाद में, वह अमेरिकी ब्रांड लिवाइस के साथ जुड़े। जहां उन्होंने केवल पांच महीने के लिए काम किया। इसके बाद, उन्होंने - ओरिजिन रिसोर्सेज - नाम से अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया, जिसमें कंपनी भारत में म्यूचुअल फंड कंपनियों को सहायता प्रदान करती है। दुर्भाग्य से, कंपनी को 2005 में बंद करना पड़ा। उसके बाद, उन्होंने ब्रिटानिया के लिए काम किया। उन्होंने कुछ समय के लिए यहां काम किया और फिर एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ईबे इंडिया से जुड़ गए।
- ईबे में, मूर्ति ने प्रबंधक के रूप में भारत, मलेशिया और फिलीपींस को संभाला। कम से कम छह साल तक काम करने के बाद, मूर्ति और शाह ने 2011 में अपना खुद का उद्यम पेपरफ्राई शुरू किया।
- शुरुआत में पेपरफ्राई लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट बेचा करती थी। एक इंटरव्यू में मूर्ति ने बताया था कि पहले उन्हें इस बात का पूरी तरह से यकीन नहीं था कि ग्राहक अभी फर्नीचर बिजनेस के लिए तैयार हैं। 2013 में, जब उन्हें लगा कि फर्नीचर-होम डेकोर बिजनेस में उनकी पकड़ अच्छी है तो इसी पर फोकस किया। कंपनी 500 शहरों में फर्नीचर पहुंचाती है और अपनी स्थापना के बाद से 245.3 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,770 करोड़) जुटा चुकी है।