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महंगाई की मार दिल्ली वालों पर सबसे कम, जानिए किस राज्य में लोग मुद्रास्फीति से सबसे ज्यादा परेशान

बिहार में महंगाई की दर 5.84 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.80 प्रतिशत और मघ्य प्रदेश में 7.49 प्रतिशत दर्ज की गई।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 15, 2022 9:06 IST
दिल्ली वालों पर सबसे...- India TV Paisa
Photo:PTI दिल्ली वालों पर सबसे कम

सरकार के महंगाई के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले लोगों पर सबसे कम महंगाई की मार है।  सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में देश में सबसे कम साल-दर-साल महंगाई दिल्ली में 2.99 प्रतिशत रही, जबकि तेलंगाना के लोगों ने सबसे अधिक 8.82 प्रतिशत की दर से महंगाई का सामना किया पड़ा। उच्च महंगाई के क्रम में आंध्र प्रदेश 7.93 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर आता है, जबकि हरियाणा 7.79 प्रतिशत की महंगाई दर के साथ तीसरे स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश के लोगों ने पिछले महीने देश में दूसरी सबसे कम मुद्रास्फीति दर 4.42 प्रतिशत का सामना किया और पंजाब 4.52 प्रतिशत के साथ रहा। वहीं, बिहार में महंगाई की दर 5.84 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.80 प्रतिशत और मघ्य प्रदेश में 7.49 प्रतिशत दर्ज की गई। गौरतलब है कि खुदरा महंगाई अक्टूबर 2022 में घटकर 6.77 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2022 में 7.41 प्रतिशत थी।

खाने-पीने के सामान सस्ते होने से राहत मिली 

महंगाई के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने बताया कि खुदरा मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर 6.8 प्रतिशत पर आ गई है जो मोटे तौर पर उम्मीदों के अनुरूप है। नरमी मुख्य रूप से खाने-पीने के सामान सस्ते होने से हुआ है। उन्होंने कहा कि सीपीआई कोर ऊंचा और 6.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित था, जो निरंतर मांग-संचालित दबावों को दर्शाता है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो जाएगी। वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में कमी और घरेलू डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति भी सीपीआई मुद्रास्फीति में मॉडरेशन (नरमी) का समर्थन करती है। हालांकि, उत्पादक निकट अवधि में अंतिम उपभोक्ताओं को कमोडिटी की कीमतों को कम करने के लाभों को पूरी तरह से पारित नहीं कर सकते हैं।

रिजर्व बैंक ब्याज दर में एक और वृद्धि करेगा 

उनके अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी आगामी दिसंबर की नीति बैठक में कम आक्रामक हो सकता है और 35-बीपीएस की दर में वृद्धि कर सकता है। फिर भी, खाद्य मुद्रास्फीति में अस्थिरता के प्रभाव और आयातित मुद्रास्फीति पर विनिमय दर के प्रभाव की बारीकी से निगरानी करने की जरूरत है। सिन्हा ने कहा, खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिम को ध्यान में रखते हुए, हमने वित्तवर्ष 2023 के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को संशोधित कर 6.8 प्रतिशत (पहले 6.5 प्रतिशत) कर दिया है। हमें उम्मीद है कि चालू वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई औसतन 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.2 प्रतिशत रहेगी। इस वित्तवर्ष के अंत तक ही खुदरा महंगाई 6 प्रतिशत से नीचे आ सकती है।

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