कंगाली की कगार तक पहुंच चुके पाकिस्तान (Pakistan) की लगता है किस्मत बदलने वाली है। इसी हफ्ते पाकिस्तान सरकार के साथ IMF की डील पक्की हुई है। इसके एक दिन के अंदर ही IMF ने पाकिस्तान को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित किए हैं। वित्त मंत्री इशाक डार ने बताया कि नकदी संकट से जूझ रहे देश के लिए 3 अरब अमेरिकी डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम को मंजूरी देने के एक दिन बाद 1.2 अरब डॉलर की रकम पाकिस्तान को मिल गई है।
शर्तें पूरी हुईं तभी मिलेंगे 1.8 अरब डॉलर
मीडिया को संबोधित करते हुए, डार ने कहा कि जब स्टैंडबाय अरेंजमेंट (एसबीए) को अंतिम रूप दिया गया, तो यह निर्णय लिया गया कि 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर अग्रिम दिए जाएंगे।डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, "मैं यह जानकारी साझा करना चाहता हूं कि आईएमएफ ने 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का अग्रिम भुगतान स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के खाते में स्थानांतरित कर दिया है।" लेकिन यहां एक पेंच है। आईएमएफ शेष बची 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि नवंबर और फरवरी में दो समीक्षाओं के बाद सौंपेगी। इसका मतलब है कि आगे भी पाकिस्तान को इकोनॉमी को लेकर सख्त रुख अपनाना होगा।
IMF की पाकिस्तान पर होगी कड़ी नजर
वैश्विक ऋणदाता ने बुधवार को कहा कि कार्यक्रम "पाकिस्तान के आवश्यक वित्तीय समायोजन को सुविधाजनक बनाने और ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2024 के बजट के कार्यान्वयन" पर ध्यान केंद्रित करेगा। वाशिंगटन स्थित ऋणदाता ने कहा कि "यह व्यवस्था पाकिस्तान के लिए एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक मोड़ को बाहर निकालने के लिए की गई है। एक कठिन स्थिति, विनाशकारी बाढ़ और नीतिगत गलत कदमों के कारण वित्तीय वर्ष 2023 में बड़े राजकोषीय और बाहरी घाटे, बढ़ती मुद्रास्फीति और आरक्षित बफ़र्स में कमी आई है।"
विदेशी मुद्रा भंडार को मिलेगी राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफ फंड पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाएगा, इसमें एक दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात द्वारा हस्तांतरित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर भी शामिल होंगे। मंगलवार को पाकिस्तान को सऊदी अरब से 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर मिले, और एक दिन बाद उसे यूएई से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर मिले। डार ने कहा कि सप्ताह के दौरान एसबीपी के भंडार में 4.2 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है।
बेहद गंभीर स्थिति में पाकिस्तान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में पिछले कई वर्षों से तेजी से गिरावट आई है। जिसके चलते पाकिस्तान की जनता जबर्दस्त महंगाई और सामान की किल्लत झेल रही है। बड़ी संख्या में लोगों के लिए गुजारा करना लगभग असंभव हो गया है। पाकिस्तान ने आईएमएफ को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहा था।