भारत में स्टार्टअप कंपनियों के यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार वर्ष 2023 में सुस्त पड़ गई है। इस साल सिर्फ तीन स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त कर पाएं हैं। आपको बता दें कि जिन स्टार्टअप का मूल्यांकन एक अरब या उससे अधिक हो जाता है, उसे यूनिकॉर्न का दर्जा मिल जाता है। भारतीय स्टार्टअप को लेकर तैयार एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में सिर्फ तीन स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न श्रेणी में शामिल हो पाए जबकि साल भर पहले इनकी संख्या 24 थी। एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप को यूनिकॉर्न कहा जाता है। 'एएसके प्राइवेट वेल्थ हुरुन इंडियन फ्यूचर यूनिकॉर्न सूचकांक 2023' के मुताबिक यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप की रफ्तार में आई सुस्ती यह दर्शाती है कि भारत का स्टार्टअप परिदृश्य सुस्त पड़ रहा है।
निवेशकों की दिलचस्पी इस कारण घटी
रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने की सुस्त रफ्तार पड़ने के पीछे की वजह निवेशकों की दिलचस्पी में कमी आना है। स्टार्टअप में निवेशकों की दिलचस्पी घटने और वित्त की बढ़ती समस्या के चलते यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार धीमी हो गई है। रिपोर्ट कहती है कि एक साल पहले देश में कुल यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 84 थी लेकिन इस साल यह घटकर 83 रह गई। एएसके प्राइवेट वेल्थ के मुख्य कार्यपालक एवं प्रबंध निदेशक राजेश सलूजा ने कहा कि स्टार्टअप फर्मों के कारोबारी मॉडल के टिकाऊ नहीं होने से भी उनके मूल्यांकन में गिरावट आई है। हालांकि सही कारोबारी मॉडल वाली कंपनियों को वित्तपोषण में कोई समस्या नहीं आ रही है।
यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 200 तक पहुंचने की उम्मीद
हुरुन इंडिया के मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप में व्यापक संभावना है और अगले पांच वर्षों में देश में कार्यरत यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 200 तक पहुंचने की उम्मीद है। जुनैद ने कहा कि चीन में 1,000 से भी अधिक स्टार्टअप हैं और अगर भारत को आर्थिक रूप से आगे बढ़ना है तो इसमें स्टार्टअप कंपनियों की भूमिका काफी अहम होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 25 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप की कुल संख्या वर्ष 2023 में बढ़कर 147 हो गई जबकि एक साल पहले इनकी संख्या 122 थी। पिछले साल की 18 कंपनियां इस सूची से बाहर हो गई हैं लेकिन 40 नई कंपनियां इसका हिस्सा भी बनी हैं। सलूजा ने कहा कि इस सूची में शामिल स्टार्टअप को होने वाला कुल वित्तपोषण छह प्रतिशत बढ़कर 18.8 अरब डॉलर हो गया।