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ONGC दूर-दराज के क्षेत्रों से गैस निकालने के लिये लगाएगी छोटे LNG प्लांट्स, इन शहरों का किया चुनाव

निविदा में छोटे-एलएनजी प्लांट स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में दो और गुजरात के अंकलेश्वर को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा झारखंड के बोकारो और गुजरात के कैम्बे में एक-एक स्थान की पहचान की गयी है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published on: October 13, 2024 13:49 IST
ओएनजीसी- India TV Paisa
Photo:FILE ओएनजीसी

सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) पाइपलाइन से नहीं जुड़े कुओं से प्राकृतिक गैस निकालने के लिए छोटे आकार के एलएनजी प्लांट स्थापित करने पर विचार कर रही है। कंपनी ने गैस कुओं के पास ऐसे प्लांट स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश, झारखंड और गुजरात में पांच स्थानों की पहचान की है। ये प्लांट जमीन के नीचे से निकाली गई गैस को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) में बदलेंगे। इस एलएनजी को क्रायोजेनिक ट्रकों के जरिये समीप के पाइपलाइन में ले जाया जाएगा जहां इसे गैस की अवस्था में फिर से परिवर्तित किया जाएगा। उसके बाद इसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों, उर्वरक इकाइयों या शहर में गैस वितरण करने वाली खुदरा विक्रेताओं को की जाएगी।

यहां लगेंगे प्लांट्स

ओएनजीसी ने विनिर्माताओं/सेवा प्रदाताओं से ऐसे प्राकृतिक गैस का उपयोग करने के लिए एक निविदा जारी की है। निविदा में छोटे-एलएनजी प्लांट स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में दो और गुजरात के अंकलेश्वर को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा झारखंड के बोकारो और गुजरात के कैम्बे में एक-एक स्थान की पहचान की गयी है। ओएनजीसी ने निविदा दस्तावेज में कहा कि देश में पाइपलाइनों का एक व्यापक नेटवर्क है। पाइपलाइन के ये नेटवर्क आपूर्ति और मांग केंद्रों को जोड़ता है। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में ऐसे गैस हैं, जो पाइपलाइन से जुड़े नहीं है। इनका उपयोग घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाना आवश्यक है। इसमें कहा गया है कि इस प्रकार की फंसी हुई गैस की मात्रा 5,000 से 50,000 मानक घन मीटर प्रतिदिन तक हैं। इनका उत्पादन पांच साल तक किया जा सकता है।

इस काम के लिए आमंत्रित की बोलियां

निविदा में विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं से ‘एलएनजी का उत्पादन करने के लिए बीओओ (बनाओ, स्वामित्व और परिचालन) के आधार पर एक छोटे पैमाने पर एलएनजी संयंत्र स्थापित करने, उत्पादित एलएनजी को करीब 250 किलोमीटर तक कास्केड (उच्च दबाव वाले गैस सिलेंडर भंडारण प्रणाली)/ टैंकरों के जरिये खपत स्थलों तक पहुंचाने के लिए बोलियां आमंत्रित की गईं हैं। इसके अलावा, इसमें एलएनजी को फिर से गैस में बदलने और फिर उसे मौजूदा गैस वितरण ग्रिड में डालने अथवा सीधे थोक उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने की बात भी शामिल है। देश में प्रतिदिन नौ करोड़ मानक घन मीटर से अधिक प्राकृतिक गैस का उत्पादन होता है। इसका उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने और वाहन चलाने के लिए सीएनजी में परिवर्तित करने तथा खाना पकाने लिए पाइप के जरिये घरों में पहुंचने वाली रसोई गैस के रूप में किया जाता है। लेकिन घरेलू उत्पादन मांग का लगभग आधा हिस्सा पूरा करता है। ओएनजीसी भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादक है। कंपनी आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने तथा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही है। इस निविदा के जारी होने से पहले, कंपनी ने मध्य प्रदेश में विंध्य बेसिन में अपने हट्टा गैस क्षेत्र के पास एक छोटे आकार का एलएनजी संयंत्र स्थापित करने के लिए देश के सबसे बड़े खुदरा ईंधन विक्रेता इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के साथ साझेदारी की थी।

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