देश के लाखों सीएनजी और पीएनजी उपभोक्ताओं (CNG and PNG Customers) को जल्द ही बड़ी राहत मिल सकती है। सरकार जल्द ही सरकारी गैस कंपनियों (PSU Gas Companies) के लिए अगले 5 साल के लिए कीमतों पर कैपिंग लगाने की घोषणा कर सकती है। इसके तहत ये कंपनियां अगले पांच साल तक गैस के दाम नहीं बढ़ा सकेंगी। कंपनियों के इस कदम से ग्राहकों को हर महीने CNG और PNG की बढ़ती कीमतों से नहीं जूझना होगा।
सस्ती होंगी पीएनजी और सीएनजी
प्राप्त जानकारी के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस पर पांच साल के लिए मूल्य सीमा लागू की जा सकती है। सरकार द्वारा किरीट पारेख की अगुवाई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति ने इसकी सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि सीएनजी और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस पीएनजी की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा।
किस कंपनी की कितनी कीमत
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) को चार डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (प्रति इकाई) के न्यूनतम मूल्य और 8.57 डॉलर की मौजूदा दर के मुकाबले अब अधिकतम 6.5 डॉलर का भुगतान किया जाएगा। मामले से जुड़े तीन सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले को नहीं बदला जाएगा। मूल्य निर्धारण की यह व्यवस्था रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी-डी6 क्षेत्र और ब्रिटेन की इसकी भागीदार बीपी पीएलसी के मुश्किल क्षेत्रों पर लागू होती है।
कीमतों में बड़े उतार चढ़ाव की संभावना नहीं
पारेख समिति को ‘‘भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार-उन्मुख, पारदर्शी और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था’’ सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का काम सौंपा गया था। समिति को यह भी तय करना था कि अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस मिले। उन्होंने कहा कि न्यूनतम और नियंत्रित मूल्य पांच साल के लिए होगा और इसकी हर साल समीक्षा की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं गिरेंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था। या मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी।
गैस के क्षेत्र में आएगा नया निवेश
सूत्रों ने कहा कि समिति की सिफारिशों के आधार पर खोज और उत्पादन (ईएंडपी) में निवेश की चिंताओं को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाजार आधारित मूल्य निर्धारण से नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और वैश्विक कंपनियां यहां आएंगी। सूत्रों ने कहा कि गैस के आवंटन में शहरी गैस को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलेगी। यह क्षेत्र ‘शून्य कटौती’ श्रेणी में होगा, जिसका अर्थ है कि उत्पादन में गिरावट के मामले में पहले अन्य उपभोक्ताओं की आपूर्ति में कटौती की जाएगी। योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है और इसे अगले कुछ दिनों में सरकार को सौंप दिया जाएगा। पेट्रोलियम मंत्रालय इन सिफारिशों की समीक्षा के बाद इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजेगा।