आने वाले समय में हर शहर में एक शहरी सहकारी बैंक स्थापित किया जाएगा। इसी के लिए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) की शुरुआत की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों को एटीएम सुविधा देने, क्रेडिट/डेबिट कार्ड जारी करने, समाशोधन प्रणाली और एसएलआर (वैधानिक तरलता अनुपात) सीमा बनाए रखने के लिए खुद को एडवांस बनाना चाहिए। भाषा की खबर के मुताबिक, आरबीआई ने एनयूसीएफडीसी को गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी और शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक सेल्फ रेगुलेटेड संगठन के रूप में काम करने की मंजूरी दी है।
20 साल बाद एनयूसीएफडीसी की स्थापना हुई
खबर के मुताबिक, अमित शाह ने कहा कि 20 साल बाद राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम की स्थापना हुई है। यह वक्त की मांग है। मुझे खुशी है कि आरबीआई ने इसके लिए मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि शहरी सहकारी बैंक भारत में लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन वे तेजी से वृद्धि नहीं कर सके।
उन्होंने कहा कि अगर एनयूसीएफडीसी पहले से होता, तो कुछ शहरी सहकारी बैंकों को घाटा नहीं होता। शाह ने कहा कि इस संबंध में कई विचार-विमर्श हुए और विश्वनाथन समिति की रिपोर्टों में भी शहरी सहकारी बैंकों को जोड़ने वाले एक निकाय की जरूरत पर जोर दिया गया।
देश की आर्थिक वृद्धि में निभा सकते हैं भूमिका
शाह ने आगे कहा कि ये बैंक देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम का मुख्य उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम का पालन करने और उन्हें पेशेवर बनाने में मदद करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कुल 11,000 शाखाओं वाले 1,500 से अधिक शहरी सहकारी बैंक हैं और इनमें पांच लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, वित्त राज्य मंत्री भागवत किशनराव कराड, सहकारिता सचिव आशीष भूटानी और एनयूसीएफडीसी के चेयरमैन ज्योतिंद्र मेहता उपस्थित थे।