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टैक्सपेयर का ब्याज अब माफ या कम कर सकते हैं अधिकारी, CBDT ने दी अनुमति, जानिए क्या है नियम

धारा 220(2ए) के तहत देय ब्याज में कटौती या छूट तीन निर्दिष्ट शर्तों के पूरा होने पर मिलेगी। ये शर्ते हैं, ऐसी राशि के भुगतान से करदाता को वास्तविक कठिनाई हुई है या होगी। ब्याज भुगतान में चूक करदाता के नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण हुई थी।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published on: November 05, 2024 14:36 IST
आयकर- India TV Paisa
Photo:FILE आयकर

आयकर विभाग ने कर अधिकारियों को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन करदाता के देय ब्याज को माफ करने या कम करने की अनुमति दे दी है। आयकर अधिनियम की धारा 220 (2ए) के तहत यदि कोई करदाता किसी मांग नोटिस में निर्दिष्ट कर राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान करने में देरी की अवधि के लिए एक प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। यह अधिनियम प्रधान मुख्य आयुक्त (पीआरसीसीआईटी) या मुख्य आयुक्त (सीसीआईटी) या प्रधान आयुक्त (पीआरसीआईटी) या आयुक्त रैंक के अधिकारियों को देय ब्याज राशि को कम करने या माफ करने का अधिकार भी देता है।

कितना ब्याज हो सकता है माफ

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चार नवंबर को जारी एक परिपत्र के जरिये ब्याज की मौद्रिक सीमा निर्दिष्ट की है, जिसे कर अधिकारी माफ कर सकते हैं या कम कर सकते हैं। इसके अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकता है। 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए सीसीआईटी रैंक का अधिकारी छूट/कटौती का फैसला करेगा। जबकि पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर फैसला कर सकते हैं।

तीन शर्तें पूरी करनी होंगी 

वहीं, धारा 220(2ए) के तहत देय ब्याज में कटौती या छूट तीन निर्दिष्ट शर्तों के पूरा होने पर मिलेगी। ये शर्ते हैं, ऐसी राशि के भुगतान से करदाता को वास्तविक कठिनाई हुई है या होगी। ब्याज भुगतान में चूक करदाता के नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण हुई थी। करदाता ने कर निर्धारण से संबंधित जांच में या उससे देय किसी राशि की वसूली की कार्यवाही में सहयोग किया है। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी साझेदार सचिन गर्ग ने कहा, ‘‘सीबीडीटी के इस कदम से धारा 220 के तहत ब्याज में छूट या कमी के लिए करदाता द्वारा किए गए आवेदनों का शीघ्र निपटान करने में मदद मिलने की उम्मीद है। यह ध्यान देने योग्य है कि अधिनियम की धारा 220 के तहत ब्याज में ऐसी कमी या छूट की मांग करने के लिए जिन निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करना आवश्यक है, उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।’’ एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि इस कदम से ब्याज राहत देने में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

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