Highlights
- किसी भी देश ने भारत को रूस से तेल खरीद रोकने के लिए नहीं कहा है
- भारत उस किसी भी देश से तेल खरीदना जारी रखेगा जहां से उसे खरीदना है
- भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक एवं उपभोक्ता देश है
यूक्रेन पर हमले से नाराज अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा चुके हैं। लेकिन भारत पश्चिम के दबाव के बावजूद अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरत के लिए रूस से तेल की खरीदारी जारी रखे हुए है। इस बीच फिर खबर आ रही है कि पश्चिम के देश भारत पर रूसी तेल न खरीदने के लिए कह रहे हैं, इस पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी बयान दिया है।
पुरी ने यह साफ किया है कि किसी भी देश ने भारत को रूस से तेल खरीद रोकने के लिए नहीं कहा है और भारत उस किसी भी देश से तेल खरीदना जारी रखेगा जहां से उसे खरीदना है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था जिससे उसके तेल के दाम गिर गए थे। ऐसी स्थिति में चीन और भारत ने कम दाम पर रूस से तेल की खरीद जारी रखी। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक एवं उपभोक्ता देश है।
स्वच्छ ऊर्जा पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए यहां पहुंचे पुरी ने कहा कि अपने उपभोक्ताओं को किफायती दामों पर ऊर्जा उपलब्ध करवाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है। पुरी ने यहां भारतीय संवादाताओं से कहा, ‘‘भारत को जिससे भी तेल खरीदना है वह खरीदेगा और इसकी साधारण सी वजह यह है कि भारत की उपभोक्ता आबादी के संदर्भ में इस तरह की चर्चा नहीं की जा सकती। वैसे भी हमें रूस से तेल खरीदने से किसी ने मना नहीं किया है।’’ इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि भारत तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों ‘ओपेक प्लस’ द्वारा तेल उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती करने के फैसले के असर को कम करने में सक्षम होगा।
पुरी ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रेनहोम के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद कहा, ‘‘यदि आप अपनी तेल नीति को लेकर स्पष्ट हैं जिसका मतलब है कि आप ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा वहनीयता में भरोसा करते हैं तो आप जिन स्रोतों से ऊर्जा खरीदना चाहते हैं, उसे खरीदेंगे।’’ भारत की तेल जरूरतों की 85 प्रतिशत पूर्ति आयात से होती है। इसके साथ ही भारत तेल खरीद के अपने स्रोतों का दायरा बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है। भारत सरकार इस आधार पर रूस से तेल खरीद का बचाव करती रही है कि उसे वहां से तेल खरीदना होगा जहां सबसे सस्ता है।
सरकार ने अमेरिका के नेतृत्व वाले जी7 समूह की उस योजना में शामिल होने की कोई इच्छा प्रकट नहीं की है जिसमें रूस के राजस्व को सीमित करने के मकसद से उससे खरीदे गये तेल के दाम की सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है। पुरी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत ओपेक समूह का सदस्य नहीं है लेकिन ओपेक के फैसलों का उस पर असर होता है। उन्होंने कहा कि ओपेक के सदस्य देशों को तेल उत्पादन पर फैसला करने का संप्रभु अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने परंपरागत रूप से हमेशा यह बात कही है कि वे कितने तेल का उत्पादन करना चाहते हैं और बाजार में कितनी आपूर्ति करना चाहते हैं, यह फैसला करने का उन्हें पूरा अधिकार है। लेकिन मैं हमेशा कहता हूं कि यह अपेक्षित और अनपेक्षित परिणामों के सिद्धांत पर निर्भर है।’’