Highlights
- भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए सरकार ने जारी किए नए गाइडलाइंस
- मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे ये दिशानिर्देश
- गाइडलाइन की अवहेलना पर लगेगा 50 लाख रुपए तक का जुर्माना
सोडा वाटर या म्यूजिक सीडी के नाम पर शराब बेचना हो या इलाइची के नाम गुटखा, टीवी यूट्यूब और अखबार में ऐसे भ्रामक विज्ञापन नहीं दिखाई देंगे। सरकार ने हाल ही में हुए लेयर शॉट विवाद के बाद भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। हाल ही में बॉडी स्प्रे ब्रांड लेयर शॉट डीयो के विज्ञापनों को लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। ऐसे विज्ञापनों को लेकर सरकार ने शुक्रवार को नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। गाइडलाइन के मुताबिक अब भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
CCPA ने सरोगेट एडवर्टाइजमेंट पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस फैसले का उद्देश्य पारदर्शिता लाना है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के नए दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इसमें बच्चों को टारगेट करने और कस्टमर्स को लुभाने के लिए मुफ्त दावे करने वाले विज्ञापन शामिल हैं। गाइडलाइंस में यह निर्देश दिया गया है कि विज्ञापन जारी करने से पहले उचित सावधानी बरती जानी चाहिए। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अधिसूचित नए दिशानिर्देशों में ‘सरोगेट’ विज्ञापनों पर भी रोक लगाई गई है और विज्ञापन दिखाते समय किसी उद्घोषणा में अधिक पारदर्शिता लाने की बात कही है।
अब सिलेब्रिटी पर भी गिरेगी गाज
भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के साथ ही सेलिब्रिटी को लेकर भी सरकार ने नियमों में सख्ती लाई है। अगर कोई सिलेब्रिटी किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन करता है या उसके फायदे बताता है तो पहले उसे इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि जो फायदे वह बता रहा है, उसके भी वह फायदा मिल चुका है। इसी तरह अगर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी में सिलेब्रिटी की कोई हिस्सेदारी है, तो उसे यह जानकारी भी देनी होगी।
क्या होते हैं सरोगेट विज्ञापन
‘सरोगेट’ विज्ञापन ऐसे विज्ञापन होते हैं, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे बता न करते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दिखाया जाता है। जैसे सोडा वाटर के बहाने शराब का प्रचार करना या इलायची के बहाने गुटखे का प्रचार करना।
सीसीपीए (CCPA) अधिनियम में हैं प्रावधान
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इन दिशानिर्देशों की घोषणा करते हुए कहा कि ‘‘विज्ञापनों में उपभोक्ता काफी दिलचस्पी लेते हैं। सीसीपीए अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का प्रावधान है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञापन उद्योग को अधिक स्पष्ट और जागरूक बनाने के लिए, सरकार आज से निष्पक्ष विज्ञापन के लिए दिशानिर्देश लेकर आई है।’’
सभी मीडिया प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे नियम
मंत्रालय द्वारा जारी किये गए ये दिशानिर्देश प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन जैसे सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे। नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CCPA) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
गाइडलाइन की अवहेलना पर लगेगा 50 लाख रुपए तक का जुर्माना
CCPA किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, एडवर्टाइजर्स और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। बाद के उल्लंघनों के लिए 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है। अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर पर 1 साल का बैन लगा सकती है। बाद में उल्लंघन के लिए इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। ये नियम उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार भी देंगे।