नीति आयोग जिसे सरकारी थिंक टैंक के तौर पर भी जाना जाता है, ने देश में टैक्स सुधार और जरूरी सेविंग स्कीम पर जोर दिया। आयोग ने यह भी कहा कि सीनियर सिटीजन या बुजुर्गों के लिए आवासीय स्कीम पर काम करने की जरूरत है। भाषा की खबर के मुताबिक, नीति आयोग ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि साल 2050 तक देश में सीनियर सिटीजन की आबादी 19.5 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में इन बातों पर अभी से ध्यान देना बेहद जरूरी है।
एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित किया जाना चाहिए
खबर के मुताबिक,नीति आयोग ने भारत में वरिष्ठ देखभाल सुधार - वरिष्ठ देखभाल प्रतिमान की पुनर्कल्पना' टाइटल वाली एक रिपोर्ट में, कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को सेवाओं तक आसान पहुंच उपलब्ध करने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित किया जाना चाहिए। चूंकि भारत में सामाजिक सुरक्षा ढांचा सीमित है, इसलिए ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक अपनी बचत से जेनरेट इनकम पर निर्भर हैं। बदलती हुई ब्याज दरों के चलते उनकी आय में कमी आती है, कभी-कभी तो यह जीविका के लेवल से भी नीचे चली जाती है।
एक नियामक तंत्र की जरूरत
आयोग ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिक जमा पर हासिल ब्याज के लिए एक प्रैक्टिकल बेस रेट तय करने के लिए एक नियामक तंत्र की जरूरत है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि वृद्ध महिलाओं को और छूट देने से उनकी वित्तीय भलाई में योगदान मिलेगा। भारत में मौजूदा समय में बुजुर्गों की आबादी 10 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार को वरिष्ठ नागरिकों के लिए तरलता बढ़ाने के लिए रिवर्स मॉर्टगेज सिस्टम का रिव्यू करना चाहिए और वर्तमान रिवर्स मॉर्टगेज नियमों में जरूरी संशोधन करना चाहिए।
टैक्स और जीएसटी सुधार
वरिष्ठ देखभाल उत्पादों को अपनाने में आसानी बढ़ाने और बुजुर्ग आबादी को वित्तीय बोझ से बचाने के लिए कर और जीएसटी सुधार आदि की जरूरत है। जनसंख्या की उम्र बढ़ना एक वैश्विक घटना है, और दुनिया भर में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट में बुजुर्गों की गैर-वहन श्रेणी को उनकी सुविधाओं में प्रदान की जाने वाली देखभाल के लिए राष्ट्रीय निधि में योगदान के रूप में सीएसआर फंड निर्धारित करने का भी आह्वान किया गया है। भारत में 75 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं और ये आंकड़े भारत में घर-आधारित देखभाल बाजार की क्षमता का संकेत देते हैं।