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पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद अब नेपाल का भी खजाना खाली, अर्थिक संकट के बीच उठाया ये कदम

पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार के समय अधिकारी को छह अप्रैल, 2020 को एनआरबी का 17वां गवर्नर नियुक्त किया गया था।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 11, 2022 9:30 IST
Nepal - India TV Paisa
Photo:PTI

Nepal 

काठमांडू। आर्थिक संकट का सामना कर रहे नेपाल की सरकार ने असाधारण कदम उठाते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को निलंबित कर दिया है। अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने को लेकर अधिकारी और देश के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। 'द काठमांडू पोस्ट' अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पुरुषोत्तम भंडारी की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था जिसके बाद शुक्रवार को नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के गवर्नर अधिकारी को निलंबित कर दिया गया।

पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार के समय अधिकारी को छह अप्रैल, 2020 को एनआरबी का 17वां गवर्नर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का था। एनआरबी के गर्वनर को निलंबित करने का यह दूसरा मामला है। अधिकारी के निलंबन के बाद एनआरबी की डिप्टी गवर्नर नीलम धुंगाना तिमिसिना को कार्यवाहक गवर्नर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्रों ने बताया कि नेपाल की अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत और तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार की पृष्ठभूमि में अधिकारी और वित्त मंत्री के बीच मतभेद शुरू हो गए थे। एनआरबी ने पिछले हफ्ते वाहनों और अन्य महंगी या लग्जरी वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने की घोषणा की थी। यह कदम नकदी की कमी और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण उठाया गया था।

आयात बढ़ने, पर्यटन एवं निर्यात से होने वाली आय की कमी और भुगतान प्रवाह घटने के कारण नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई, 2021 से गिरावट आ रही है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी, 2022 तक देश का विदेशी मुद्रा का कुल भंडार 17 प्रतिशत घटकर 9.75 अरब डॉलर रह गया, जो जुलाई, 2021 के मध्य में 11.75 अरब डॉलर था। अब नेपाल के पास जितना विदेशी मुद्रा भंडार है उससे महज छह महीने के लिए ही माल एवं सेवाओं का आयात किया जा सकेगा और यह केंद्रीय बैंक के न्यूनतम सात महीने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के लक्ष्य से कम है।

पिछले हफ्ते मंत्रिमंडल की बैठक में अधिकारी के कामकाजी तौर-तरीकों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई थी। उसमें सकार के गठबंधन सहयोगियों ने अर्थव्यवस्था की हालत पर गंभीर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा से ठोस कदम उठाने की मांग की थी। 

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