अगर आपको अचानक अधिक पैसों की जरूरत पड़ जाए, तो प्रॉपर्टी पर लोन एक अच्छा विकल्प है। इस तरह का लोन लेने के लिए आप अपनी रिहायशी या कमर्शियल प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कोलेटरल के रूप में
करके पैसा उधार ले सकते हैं। इस तरह आपको प्रॉपर्टी बेचे बिना ही जरूरत के लिए पैसा मिल जाता है। इस तरह के लोन में आप अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में अधिक राशि का लोन ले सकते हैं। इससे पहले कि आप
प्रॉपर्टी पर लोन लेने का फैसला लें, बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा आपको प्रॉपर्टी लोन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
यह सिक्योर्ड लोन है
प्रॉपर्टी पर लोन एक सिक्योर्ड लोन है, जिसमें आप प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कोलेटरल के रूप में करते हैं। इससे लोन देने वाले बैंक को सिक्योरिटी मिलती है और यही कारण है कि अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में इस तरह का लोन
कम ब्याज दर पर मिल जाता है। हालांकि, लोन लेने वाला व्यक्ति अगर लोन का भुगतान न कर सके, तो उसे प्रॉपर्टी का नुकसान हो सकता है। इसलिए अपने घर या कमर्शियल प्रॉपर्टी पर लोन लेने से पहले अपनी लोन चुकाने की
क्षमता के बारे में सावधानीपूर्वक सोच लें।
प्रॉपर्टी की वैल्यूएशन
लोन देने वाला बैंक सम्पत्ति का मूल्यांकन कर इसी आधार पर लोन देता है। लोन की राशि कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे आर्थिक स्थिति, ब्याज दर, बाजार के स्थानीय रूझान (संपत्ति की कीमतों में उचार-चढ़ाव) आदि। उदाहरण के लिए अगर प्रॉपर्टी की कीमत में बड़ी गिरावट आ जाए तो नेगेटिव इक्विटी हो सकती है और लोन लेने वाले व्यक्ति को सम्पत्ति की मौजूदा कीमत से अधिक राशि चुकानी पड़ सकती है।
लोन का उद्देश्य
यह जरूरी है आपके पास प्रॉपर्टी पर लोन लेने का स्पष्ट कारण हो। आप कारोबार बढ़ाना चाहते हैं, नई प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, आपको अपनी निजी जरूरतों के लिए पैसा चाहिए, आप अपने फाइनेंशियल लक्ष्य तय करने के
बाद ही लोन लेने का फैसला लें। लोन लेने के फायदे और जोखिम दोनों को अच्छी तरह समझ लें। इस बात पर विचार करें कि क्या लोन का आपकी स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर आप लोन चुकाने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो कोई और विकल्प जैसे अनसिक्योर्ड लोन के बारे में सोचें।
लागत
सिक्योर्ड लोन में भी कई तरह के शुल्क लगते हैं। इसके बारे में लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसमें शामिल हैं- लोन ऐप्लीकेशन के लिए प्रोसेसिंग शुल्क, प्रॉपर्टी की कीमत के वैल्यूएशन के लिए वैल्यूएशन शुल्क, दस्तावेजों एवं वैरिफिकेशन के लिए कानूनी खर्च आदि। इसके अलावा अन्य खर्च में शामिल है- कानूनी दस्तावेजों पर सरकार द्वारा अध्यारोपित स्टाम्प ड्यूटी, प्रॉपर्टी की रिकॉर्डिंग और मोर्टगेज के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क और कुछ मामलों में प्रॉपर्टी इंश्योरेन्स भी जरूरी हो सकता है।
लोन चुकाने की क्षमता
आय, ऋण-आय अनुपात, खर्च करने की आदतें, इमरजेंसी के लिए तैयारी, आदि कुछ ऐसे कारक हैं, जो आपकी लोन चुकाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। ऋण आय अनुपात, आपकी मासिक आय और कुल ऋण के भुगतान
के बीच के अंतर को बताता है, यह अनुपात कम होना चाहिए। अन्य कई खर्च भी लोन चुकाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं जैसे अन्य लोन का भुगतान, रहन-सहन का खर्च या कारोबार की प्रतिबद्धताएं आदि। इसलिए इस बात पर विचार कर लें कि इमरजेंसी खर्च आने पर आपकी लोन चुकाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। लोन लेने से पहले आकस्मिक योजना जरूर बना लें।