एनसीएलटी ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) की इस दलील को खारिज कर दिया है कि उसे सरकारी मंजूरी में देरी, यमुना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित लंबी मुकदमेबाजी और सरकारी नीतियों में बदलाव के कारण नकदी की कमी का सामना करना पड़ा। कंपनी ने यह दावा भी किया था कि इस वजह से वह कर्ज नहीं चुका सकी।
इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने सोमवार को जेएएल के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था। एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक अगर किसी कंपनी पर कोई कर्ज है, उससे कर्ज चुकाने में चूक हुई है और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की धारा सात के तहत वित्तीय लेनदार ने आवेदन किया है, तो दिवाला याचिका स्वीकार की जानी चाहिए। न्यायाधिकरण ने जेएएल की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने दिवाला कार्यवाही शुरू करने की व्यवहार्यता, कंपनी की समग्र वित्तीय स्थिति और बकाया ऋणों को चुकाने के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली प्राप्तियों जैसे आधार पर दिवाला कार्यवाही शुरू न करने की अपील की थी।
एनसीएलटी ने अपने 120 पन्नों के आदेश में कहा कि जेएएल के वकील की दलील से आईबीसी की धारा सात के तहत कार्यवाही शुरू करने पर कोई असर नहीं पड़ सकता है, अगर ऋण हो और आईबीसी की धारा सात के तहत ऐसे ऋण के पुनर्भुगतान में चूक हुई हो। जेएएल के वकील ने कहा था कि कंपनी को सरकारी मंजूरी में देरी, यमुना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित लंबी मुकदमेबाजी और सरकारी नीतियों में बदलाव के कारण नकदी की कमी का सामना करना पड़ा, जिसके चलते ऋण के पुनर्भुगतान में चूक हुई।